सूर्य संस्कृति की पहचान से जुड़ा स्याल्दे-बिखौती मेला
डॉ. मोहन चंद तिवारी
सांस्कृतिक नगरी द्वाराहाट की परंपरागत लोक संस्कृति से जुड़ा उत्तराखंड का स्याल्दे बिखौती का मेला पाली पछाऊँ क्षेत्र का सर्वाधिक लोकप्रिय और रंग रंगीला मेला माना जाता है.दो अलग-अलग चरणों में आयोजित, इस स्यालदे बिखोती का मेला सबसे पहले चैत्र मास की अन्तिम रात्रि ‘विषुवत्’ संक्रान्ति 13 या 14 अप्रैल को प्रतिवर्ष द्वाराहाट से 8 कि.मी.की दूरी पर स्थित विभांडेश्वर महादेव में लगता है.यहां रात्रि काल में आस-पास के गांवों के लोग और लोक नर्तक नाचते और गाते हुए नगाड़ा निशाण लेकर विभांडेश्वर मंदिर में इकट्ठा होते हैं.दूसरे चरण में वैशाख मास की पहली और दूसरी तिथि को द्वाराहाट बाजार में स्थित शीतला देवी के मंदिर प्रांगण में स्याल्दे का मेला लगता है,जहां विभिन्न आलों के लोग 'ओड़ा भेटने' की परंपरा का निर्वाह करते हैं.
विषुवत संक्रांति को विष का निदान करने वाली संक्रांति भी कहा ...