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फूलों का उत्सव: सांझा चूल्हा और ग्वाल पुजै 

फूलों का उत्सव: सांझा चूल्हा और ग्वाल पुजै 

लोक पर्व-त्योहार
मंजू दिल से… भाग-28 मंजू काला फूल से मासूम बच्चे, ताजे फूलों सी उनकी मुस्कराहट, पहाड़ी  झरने सी उनकी चाल,  दूर  पहाड़ी में बजती मंदिर की घंटियां मासूम नन्हें—नन्हें हाथों में सजी खूबसूरत रिंगाल की छोटी-छोटी टोकरियां और प्यारे से उत्तराखंड का प्यारा सा उत्सव “फूलदेई” जी हां, दुनिया में शायद उत्तराखंड के पहाड़ों में ही ऐसा उत्सव मनाया जाता है, जो रंग—बिरंगे फूलों और प्यारे से मासूम बच्चों के साथ मनाया जाता है. रिंगाल की खुबसूरत टोकररियों में पुलम, खुबानी बुरंस, फ्योंली,आडू़,और न जाने कितने रंग—बिरंगे फूल लेकर आते हैं ये मासूम बच्चे. और हर घर की देहरी पर ये खूबसूरत फूल बिखेरते हैं. मुँह अंधेरे में जागकर जंगलों से लाल सुर्ख बुराँश के फूल चून—चून कर लाते हैं औऱ फिर खेतों की मुंडेर से सूरज की किरणों की तरह मुस्कराती सरसों—सी पीली फ्योंली को अपनी टोकिरयों में सजा कर निकल जाती है स्कूलि...