Tag: स्वतंत्रता संग्राम

देहरादून के खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका पर चर्चा

देहरादून के खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका पर चर्चा

देहरादून
  देहरादून. आज प्रातः दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से डॉ. लालता प्रसाद की खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका का लोकार्पण केंद्र के सभागार में किया गया और उसके बाद एक समूह चर्चा का आयोजन किया गया. आज के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. बी.के. जोशी ने की. इस चर्चा में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता और लेखक अनिल नौरिया, वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. सुनील कुमार सक्सेना, सामाजिक इतिहासकार डॉ. योगेश धस्माना और डॉ. लालता प्रसाद ने भाग लिया. चर्चा का सफल संचालन सामाजिक विचारक बिजू नेगी ने किया. प्रो. बी.के. जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आंदोलन में उत्तराखंड का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अनेक अधिवेशनों व बैठकों में स्थानीय नेताओं की सक्रिय भागीदारी की वजह से उत्तराखंड के जनमानस ...
‘करो या मरो’ अगस्त क्रांति का बीजमंत्र

‘करो या मरो’ अगस्त क्रांति का बीजमंत्र

इतिहास
9 अगस्त 'भारत छोड़ो' आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज नौ अगस्त को देश 'भारत छोड़ो' आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ मना रहा है.नौ अगस्त 1942 का दिन भारत की आजादी का एक ऐतिहासिक दिन है. इसी दिन गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लिए “भारत छोड़ो आंदोलन” के रूप में अपनी आखिरी मुहिम चलाई थी जिसे भारत के इतिहास में 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है.'करो या मरो' अगस्त क्रांति का बीजमंत्र था. महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में चले इस विशाल जन आन्दोलन के जरिए अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति चाहने वाले करोड़ों देशभक्तों ने अपना तन मन धन न्योछावर करते हुए ब्रिटिश शासन की चूल को हिलाकर रख दिया था. बाद में इसी आंदोलन ने 1947 में मिली आजादी की नींव भी रखी. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उत्तराखंड के 21 स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए और हजारों को गिरफ्तार किया गया,जिसके परिण...