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महावीर रवांल्टा होंगे ‘श्यामसुंदर नागला स्मृति बालवाटिका बाल साहित्य सम्मान-2025’ से सम्मानित

महावीर रवांल्टा होंगे ‘श्यामसुंदर नागला स्मृति बालवाटिका बाल साहित्य सम्मान-2025’ से सम्मानित

साहित्‍य-संस्कृति
पुरोला/भीलवाड़ा. यमुना घाटी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को ‘श्यामसुंदर नागला स्मृति बालवाटिका बाल साहित्य सम्मान-2025’ से अलंकृत किया जाएगा. यह सम्मान उन्हें ‘बालवाटिका’ (मासिक) पत्रिका की ओर से आयोजित 26वीं राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह-2025 में प्रदान किया जाएगा. यह आयोजन 4-5 अक्टूबर 2025 को विनायक विद्यापीठ, भूणास, भीलवाड़ा (राजस्थान) में होगा, जिसमें देशभर से बाल साहित्यकार शिरकत करेंगे. समारोह में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और हमारा दायित्व’ विषय पर तीन चर्चा-सत्र आयोजित होंगे. साथ ही एक बाल काव्यगोष्ठी भी सम्पन्न होगी. डॉ. भैरूं लाल गर्ग (संपादक एवं संयोजक, बालवाटिका) के अनुसार महावीर रवांल्टा को सम्मानस्वरूप स्मृति चिन्ह, शाल, श्रीफल एवं धनराशि भेंट की जाएगी. महावीर रवांल्टा का साहित्यिक योगदान महावीर रवांल्टा प्रौढ़ एवं बाल साहित्य – दोनों क्षेत्रों ...
पैठणी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है औरंगाबाद का पैठण

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ट्रैवलॉग
पोथी सागणें… मंजू दिल से… भाग-14 मंजू काला मनुष्य से आज के सुसंस्कृत मनुष्य तक की यात्रा के साथ चित्र परंपराओं की एक यात्रा समानांतर रूप से चलती है. इस समानांतर यात्रा में मानव विकास के विविध सोपानों को पढ़ा जा सकता है. because इसमें मानव मन की क्रमिक गूँज-अनुगूँज को भी सुना जा सकता है क्योंकि चित्रों में मनुष्य की तीन मूल इच्छाएँ-  सिसृक्षा, रिरंसा एवं युयुत्सा भी परिलक्षित होती हैं. मनुष्य लिखित भाषा जब अस्तित्व में नहीं आई थी, मनुष्य ने चित्रों के माध्यम से मनोभावों को अभिव्यक्त किया. भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक अनेक चित्रशैलियों के because प्रमाण मिलते हैं. कुछ शैलियों ने जनजातीय-अंचलों में अपने मूल रूप को काफी हद तक अछूता रखा है, जैसे, गुजरात के राठवाओं में “पिथोरो”, उड़ीसा की साओरा जनजाति में “इटेलान” लोककला. मनुष्य ठाणे (महाराष्ट्र) (Thane...