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फिल्म “फ़्योंली… पर्वत की बेटी” का मुहूर्त: पहाड़ की शिक्षा, संघर्ष और सपनों की कहानी को मिलेगी सिनेमाई अभिव्यक्ति

फिल्म “फ़्योंली… पर्वत की बेटी” का मुहूर्त: पहाड़ की शिक्षा, संघर्ष और सपनों की कहानी को मिलेगी सिनेमाई अभिव्यक्ति

देहरादून
 हिमांतर ब्यूरो, देहरादूनइगास पर्व के शुभ अवसर पर देहरादून जनपद के प्रसिद्ध लेखक गांव में आज हिमालयन फ़िल्म्स के बैनर तले निर्मित होने जा रही फ़िल्म “फ़्योंली… पर्वत की बेटी” का विधिवत मुहूर्त सम्पन्न हुआ. पुस्तकालय भवन में फ़िल्माए गए प्रथम दृश्य के साथ इस परियोजना ने अपनी औपचारिक शुरुआत की. मुहूर्त कार्यक्रम में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ तथा उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी नितिन उपाध्याय ने नारियल फोड़कर और क्लैप देकर फ़िल्म का शुभारंभ किया.संघर्षों से सपनों की उड़ान- फ़िल्म की मूल भावना डॉ. निशंक ने फ़िल्म टीम को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह फ़िल्म हिमालयी समाज में शिक्षा और संघर्षों के बीच आगे बढ़ती एक बेटी की प्रेरक यात्रा को दर्शाएगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी...
वक्त के साथ ‘फूलदेई’ भी बदल गई

वक्त के साथ ‘फूलदेई’ भी बदल गई

लोक पर्व-त्योहार
ललित फुलाराटोकरी और भकार- दोनों ही छूट गया. बुरांश और फ्योली भी आंखों से ओझल हो गई. बस स्मृतियां हैं जिन्हें ईजा, आंखों के आगे उकेर देती है. देहरी पर सुबह ही फूल रख दिए गए हैं. ईजा के साथ-साथ हम because भी बचपन में लौट चले हैं. तीनों भाई-बहन के हाथों में टोकरी है.टोकरी में बुरांश, फ्योली, आड़ू so और सरसों के फूल.गुड़ की ढेली और मुट्ठी भर चावल. गोद में परिवार में जन्मा नया बच्चा जिसकी पहली फूलदेई है. तलबाखई से लेकर मलबाखई तक हर घर में हम बच्चों की कितनी आवोभगत हो रही है. तन-मन में स्फूर्ती but भरती वसंत की ठंडी हवा में उल्लासित हमारा मन, अठन्नी और चवन्नी की गिनती के साथ ही गुड़ के ढेले में रमा हुआ है. पैसों की खनखनाहट के साथ ही हमारे सपने भी खनक रहे हैं. बहन के बालों में फ्योली का फूल लहलहा रहा है. भाई का मन गुड़ और मिठाई में रमा हुआ है.हर धैली पर फ्योली का फूल चढ़ाकर त...