अस्तित्व की व्याप्ति का उत्सव है होली

अस्तित्व की व्याप्ति का उत्सव है होली

होली पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  प्रकृति के सौंदर्य और शक्ति के साथ अपने हृदय की अनुभूति को बाँटना बसंत ऋतु का तक़ाज़ा है. मनुष्य भी चूँकि उसी प्रकृति की एक विशिष्ट कृति है इस कारण वह इस उल्लास से अछूता नहीं रह पाता. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत की […]

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 होली रे होली, चित्रों से बोली!

होली रे होली, चित्रों से बोली!

आब-ए-पाशी   मंजू दिल से… भाग-13 मंजू काला बसंत ऋतु के प्रसिद्ध एवम भारतीय संस्कृति के प्रतीक होली पर्व का अभिप्राय है-आनंद, उल्सास, अथवा हास-परिहास! इस पर्व का आगमन ही ऐसे मौसम में होता है, so जब प्रकृति की आभा पूर्ण यौवन पर रहती है! because मंद-मंद पवन से वातावरण आमोदित-प्रमोदित होता रहता है! सम्पूर्ण […]

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