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होली रे होली, चित्रों से बोली!

होली रे होली, चित्रों से बोली!

लोक पर्व-त्योहार
आब-ए-पाशी   मंजू दिल से… भाग-13 मंजू काला बसंत ऋतु के प्रसिद्ध एवम भारतीय संस्कृति के प्रतीक होली पर्व का अभिप्राय है-आनंद, उल्सास, अथवा हास-परिहास! इस पर्व का आगमन ही ऐसे मौसम में होता है, so जब प्रकृति की आभा पूर्ण यौवन पर रहती है! because मंद-मंद पवन से वातावरण आमोदित-प्रमोदित होता रहता है! सम्पूर्ण सृष्टि उत्साह उमंग से झूम उठती है! टेसु और सेमल के फूल ऐसे लगते हैं, जैसे नव-वधू श्रंगार कर अपने अरसिक प्रिय को रिझाने के लिए बैठी हो! बसंत ऋतु यह पर्व पूरे भारत तथा नेपाल में खूब धूमधाम और उमंग के साथ मनाया जाने वाला पर्व हैं.पर्व का प्रारम्भ होलिकादहन से होता है. अगले दिन जनमानस अबीर, गुलाल so और गीले रंगों के साथ तथा पर्यावरण प्रेमी , फूलों व हर्बल गुलाल के साथ होली के पर्व का आनंद मनाते हैं. कहीं – कहीं यह पर्व आज भी अपनी प्राचीन परम्परा के अनुरूप ही  सप्ताह भर तक मनाया जाता...