Tag: वृक्षारोपण

डाबर इंडिया के सहयोग से देहरादून में वृहद औषधीय वृक्षारोपण और बीज बम अभियान

डाबर इंडिया के सहयोग से देहरादून में वृहद औषधीय वृक्षारोपण और बीज बम अभियान

देहरादून
मनबीर कौर चैरिटेबल ट्रस्ट एवं आगाज़ फैडरेशन का संयुक्त अभियान थानो और शंकरपुर क्षेत्र में किसानों को 1500 डाबर इंडिया/जीवन्ती वेलफेयर एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 1500 से अधिक वरूणा, कुटज, कचनार के पौधे भी बांटे गये. मनबीर कौर चैरिटेबल ट्रस्ट और आगाज़ फैडरेशन द्वारा संयुक्त रूप से जनपद देहरादून में औषधीय पादप बीज बम अभियान चलाया गया. इस कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान तक प्रेमनगर, झाझरा, मालदेवता, रायपुर में सौंग नदी के किनारे 4000 बीज बम प्रत्यारोपित/फेंके   गये.  यही नहीं कार्यक्रम के अंतर्गत 150 छायादार, सजावटी और औषधीय पौधे भी रोपे गये. संस्थाओं द्वारा तुनवाला, रानीपोखरी, थानो और शंकरपुर क्षेत्र में किसानों को 1500 डाबर इंडिया/जीवन्ती वेलफेयर एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 1500 से अधिक वरूणा, कुटज, कचनार के पौधे भी बांटे गये. इस कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम के 10 छात्र-छात्राओ...
ग्रीन आर्मी देवभूमि उत्तराखंड के स्वयंसेवकों ने किया वृक्षारोपण

ग्रीन आर्मी देवभूमि उत्तराखंड के स्वयंसेवकों ने किया वृक्षारोपण

उत्तराखंड हलचल
सैंता यूं थे इन जन अपणु नौनु-नौनी जाणी औलाद तुम्हारी सेवा बिसरी भी जाली पर छैल दींन नि बिसराली ये डाली सैंता यूं थे इन जन अपणु नौनु-नौनी जाणी बाला जन ही हुंदिन ये डाली जब रखिलया यूं थे पाली तभी चमकली तुम्हारी घौर की हरियाली कुछ इन्ही भावों के साथ ‘ग्रीन आर्मी देवभूमि उत्तराखंड’ के स्वयंसेवकों द्वारा अलग—अलग स्थानों पर पौधा रोपण कार्यक्रम किया गया. पौधारोपण कार्यक्रम के पश्चात विद्वान जनों द्वारा सभी को संबोधित करते हुए बताया गया कि पर्यावरण में संरक्षण हेतु पौधा रोपण करना एवं उनके संरक्षण के लिए कार्य करने की अति आवश्यकता है. प्रकृति से जुड़ने के लिए उनके संवर्धन के लिए कार्य किए जाने चाहिए. प्रकृति के अति दोहन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. यह हम सभी का कर्तव्य है कि जिस प्रकृति से हवा पानी ईंधन मिलता है, उसके लिए हमको एक साथ मिलकर कार्य कर उसके संरक्षण के लिए आगे...
हरेला पर्व, अँधेरे समय में विचार जैसा है

हरेला पर्व, अँधेरे समय में विचार जैसा है

लोक पर्व-त्योहार
प्रकाश उप्रेती पहाड़ों का जीवन अपने संसाधनों पर निर्भर होता है. यह जीवन अपने आस-पास के पेड़, पौधे, जंगल, मिट्टी, झाड़ियाँ और फल-फूल आदि से बनता है. इनकी उपस्थिति में ही जीवन का उत्सव मनाया जाता है. पहाड़ के जीवन में प्रकृति अंतर्निहित होती है. दोनों परस्पर एक- दूसरे में घुले- मिले होते हैं. एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यह रिश्ता अनादि काल से चला आ रहा है. 'पर्यावरण' जैसे शब्द की जब ध्वनि भी नहीं थी तब से प्रकृति पहाड़ की जीवनशैली का अनिवार्य अंग है. वहां जंगल या पेड़, पर्यावरण नहीं बल्कि जीवन का अटूट हिस्सा हैं. इसलिए जीवन के हर भाव, दुःख-सुख, शुभ-अशुभ, में प्रकृति मौजूद रहती है. जीवन के उत्सव में प्रकृति की इसी मौजूदगी का लोकपर्व है, हरेला. हरेला का अर्थ हरियाली से है. यह हरियाली जीवन के सभी रूपों में बनी रहे उसी का द्योतक यह लोक पर्व है. एक वर्ष में तीन बार मनाया जा...