
अंतर्मन की शांति है प्रसन्नता की कुंजी
विश्व प्रसन्नता दिवस, 20 मार्च 2023
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
वैसे तो क्रोध और भय जैसे कई भाव और संवेग मनुष्यों और पशु दोनों में मिलते हैं परन्तु जितनी विविधता मनुष्य में दिखती है वह आश्चर्यजनक है. अवसाद, प्यार, आनंद, और ईर्ष्या आदि भाव सिर्फ मनुष्यों में मिलते हैं. हम सब इनके प्रति बड़े संवेदनशील होते हैं. शायद यही कहना ठीक होगा कि हमारे दुःख-सुख ही हमको परिभाषित करते हैं. तीव्र अवसाद हो या सुख की because अनुभूति के क्षण हों हमारा पूरा वजूद ही बदल जाता है. शायद इसी जीवन्तता के कारण नाट्य शास्त्र में इन तत्वों को रस का नाम दिया गया. रस सचमुच जीवन-रस होते हैं और नीरस जीवन व्यर्थ होता है. जीवन को सरस कैसे बनाया जाय यह एक बड़ी पहेली है. मजेदार बात यह है कि जिस रूप में रस का हम अनुभव करते हैं वह उस रूप में पहले से मौजूद नहीं होता है, वरन वह कुछ घटनाओं के क्रम में पैदा होता है या उपजता है. शारी...