नीलम पांडेय‘नील’ ब्रह्म ने पृथ्वी के कान में एक बीज मंत्र दे दिया है उसी क्रिया की प्रतिक्रिया में जब बादल बरसते हैं, तो स्नेह की वर्षा होने लगती है और पृथ्वी निश्चल भीग उठती है. आज भी बादलों के गरजने और धरती पर फ्यूंली के फूलने से, यूं लग रहा है कि पृथ्वी मंत्र […]
प्रो. गिरीश्वर मिश्र सृष्टि चक्र का आंतरिक विधान सतत परिवर्तन का है और भारत देश का सौभाग्य कि वह इस गहन क्रम का साक्षी बना है. तभी ऋत और सत्य के विचार यहां के चिंतन में गहरे पैठ गए हैं और नित्य-अनित्य का विवेक so करना दार्शनिकों के लिए बड़ी चुनौती बनी रही. यहां ऋतुओं […]
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