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रवांल्टी कविता: मैत की दोफारी

साहित्यिक-हलचल
कुलवन्ती रावत, प्रधानाध्यापिका रा०प्रा०वि०धिवरा, पुरोला उत्तरकाशी चैत मगसीर अर माग कु मैनु भी आ ससुरास्या छोरियों मैत की याद बी आ सी होली विचारी भाग्यान ज्युकि मैत की दोफारी आली मैत्या दोफारया मां अरस अर लड्डु ल्याली पैली बिन बैदाउ कोई मैत न सकत नै साय सेरु कु तत्रा ब्याऊ यरंगु रतु भय तदीक जमान बाबा अर भाई जी बैदी ल्यात अर दोफारया क साथ अड़ेती बी आत मैत अब छोरिया कम नौ मैत की दोफारी रुण लगी गांव छोड़ी कीं सबुक मन मां अब बजार की दौड़ जगी अब जु बजार रलू तेई मैत की याद काली आली जब मैत न नली त दोफारी कोखन ल्याली न छोड्याण माते दोफारी न चितायांण प्यारू बजार आखिर मैत त मैत र कणेक करयाण दी विचार  ...
साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा सम्मानित

साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा सम्मानित

उत्तरकाशी
हिमांतर ब्यूरो, पुरोला श्री कमलेश्वर महादेव जीप,सुमो ड्राईवर एवं आनर्स समिति द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा को सम्मानित किया गया. समिति के पुरोला स्थित because कार्यालय में बेहद सादे आयोजन में समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह रजवार, सचिव यशवीर पंवार, उपाध्यक्ष अरविन्द चौहान, संगठन मंत्री दिनेश मेहर, प्रचार मंत्री उमापति भट्ट, कोषाध्यक्ष सुरेश जोशी,संरक्षक दिलीप राणा, स्टेशन प्रभारी मनमोहन नौडियाल so व मनमोहन राणा, मालचंद, त्रिलोक राणा, गुरुदेव रावत सहित अनेक लोगों की उपस्थिति में उन्हें स्मृति चिन्ह व शाल भेंटकर सम्मानित किया गया. उत्तराखंड साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी चलाने वाले महावीर रवांल्टा की अब तक तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के प्रकाशन के because साथ ही आकाशवाणी व दूरदर्शन से उनकी रचना...