बसंत पंचमी: कला का सदुपयोग व आत्मनवीनीकरण…
सुनीता भट्ट पैन्यूली एक साहित्यिक उक्ति के अनुसार,“प्राण तत्व ‘रस’ से परिपूर्ण रचना ही कला है” इसी कला की प्रासंगिकता के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि सृष्टि की रचना, अनादिशक्ति ब्रहमा का अद्भुत चमत्कार है और उसमें अप्रतिम रंग,ध्वनि,वेग,स्पंदन व चेतना का स्फूरण मां सरस्वती की कलाकृति. यही कला का स्पर्श हमें उस […]
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