Tag: मां सरस्वती

यमुना वैली पब्लिक स्कूल के वार्षिकोत्सव में बच्चों ने मोहा मन, जल्द शुरू होंगी माध्यमिक कक्षाएं

यमुना वैली पब्लिक स्कूल के वार्षिकोत्सव में बच्चों ने मोहा मन, जल्द शुरू होंगी माध्यमिक कक्षाएं

उत्तरकाशी
नौगांव: यमुना वैली पब्लिक स्कूल. ये उस सोच का नजीता है, जिसका बीजारोपण दिल्ली में हुआ था. जब शशि मोहन रावत और उनकी पत्नी सीमा ने दिल्ली छोड़कर अपने पहाड़ में बेहतर शिक्षा प्रदान करने का मन बनाया. उन्होंने नौगांव में स्कूल की स्थापना की और अपने अभियान को शुरू कर दिया. स्कूल में क्वालिटी एजुकेशन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महज 5-6 सालों में ही स्टूडेंट्स की संख्या करीब ढाई सौ हो चुकी है. बहुत जल्द स्कूल में दसवीं तक की कक्षाएं भी संचालित करने करने की दिशा में कदम भी बढ़ा दिए गए हैं. 26 मार्च को नौगांव के लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस के ग्राउंड में स्कूल का वार्षिक उत्सव मनाया गया. यह वास्तव में उत्सव ही था. जिस तरह से बच्चों ने शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किए. उससे एक बात तो साफ है कि बच्चों को जिस तरह बेहतरीन शिक्षा दी जा रही है. ठीक उसी तरह से उनके व्यक्तित्व के विकास पर भी फोकस ...
बसंत पंचमी: कला का सदुपयोग व आत्मनवीनीकरण…

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लोक पर्व-त्योहार
सुनीता भट्ट पैन्यूली एक साहित्यिक उक्ति के अनुसार,“प्राण तत्व ‘रस' से परिपूर्ण रचना ही कला है" इसी कला की प्रासंगिकता के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि सृष्टि की रचना, अनादिशक्ति ब्रहमा का अद्भुत चमत्कार है और उसमें अप्रतिम रंग,ध्वनि,वेग,स्पंदन व चेतना का स्फूरण मां सरस्वती की कलाकृति. यही कला का स्पर्श हमें उस चिरंतन ज्योतिर्मय यानि कि मां सरस्वती से एकाकार होने का अनुभूति प्रदान करता है. क्योंकि यही देवी सरस्वती ही ज्ञान, कला, विज्ञान, शब्द-सृजन, व संगीत की अधिष्ठात्री हैं.  सरस्वती मां को मूर्तरुप में ढूंढना उनकी व्यापकता को बहुत संकुचित करता है. दरअसल जहां-जहां कला अहैतुकि,नि:स्वार्थ एवं जगत कल्याण के लिए सजग व सक्रिय है सरस्वती का वहीं वास है. जहां सात्त्विक जीवन,कला के विभिन्न रूपों का अधिष्ठान, अध्यात्म, गहन चिंतन, विसंगति के वातावरण में रहकर भी आंतरिक विकास और ऊंचाई पर पहु...