Tag: महाकवि सूरदास

ईज़ा शब्द अभिव्यक्ति की सीमा  से परे अनुभूति का रिश्ता  है  

ईज़ा शब्द अभिव्यक्ति की सीमा  से परे अनुभूति का रिश्ता  है  

आधी आबादी
भुवन चंद्र पंत ईजा के संबोधन में जो लोकजीवन की सौंधी महक है, उसके समकक्ष माँ, मम्मी या मॉम में रिश्तों के तासीर की वह गर्माहट कहां? ईजा शब्द के संबोधन में एक ऐसी ग्रामीण because महिला की छवि स्वतः आँखों  के सम्मुख उभरकर आती है, जो त्याग की साक्षात् प्रतिमूर्ति है, जिसमें आत्मसुख का परित्याग कर खुद को परिवार के लिए समर्पित होने का त्याग एवं बलिदान है, बच्चों की परवरिश के लिए समयाभाव के बावजूद उनकी खुशियों के लिए कोई कसर न छोड़ने वाली ईजा का कोई सानी नहीं. हमारी थोड़ा बच्चों की शरारत पर because मीठी झि़ड़की देने और उसी क्षण शिबौऽऽ कहकर उसके सर पर हाथ फिराने और मुंह मलासने वाली ईजा, जंगल से लौटकर झटपट बिना पानी की घूँट पीये बच्चे को अपने दूध पर लगाने वाली ईजा, पीठ पर बच्चे को बांधकर खेतों में निराई-गुड़ाई करने वाली ईजा, धोती से सिर बांधकर आंगन में ओखल कूटती ईजा, सुबह सबेरे गागर सिर प...