ईज़ा शब्द अभिव्यक्ति की सीमा  से परे अनुभूति का रिश्ता  है  

ईज़ा शब्द अभिव्यक्ति की सीमा  से परे अनुभूति का रिश्ता  है  

भुवन चंद्र पंत ईजा के संबोधन में जो लोकजीवन की सौंधी महक है, उसके समकक्ष माँ, मम्मी या मॉम में रिश्तों के तासीर की वह गर्माहट कहां? ईजा शब्द के संबोधन में एक ऐसी ग्रामीण because महिला की छवि स्वतः आँखों  के सम्मुख उभरकर आती है, जो त्याग की साक्षात् प्रतिमूर्ति है, जिसमें आत्मसुख का […]

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