Tag: बुदापैश्त डायरी

बुदापैश्त डायरी-3

बुदापैश्त डायरी-3

संस्मरण
देश—परदेश भाग—3 डॉ. विजया सती विभाग में हमारे पास एक बहुत ही रोचक पाठ-सामग्री थी, यह विभाग के पहले विजिटिंग प्रोफ़ेसर हिन्दी लेखक असग़र वजाहत जी के सहयोग से मारिया जी ने तैयार की थी. इसका नाम था– विनोद. बाद में इन पाठों का पुस्तक रूप में प्रकाशन हुआ. ये पाठ विनोद के माध्यम से भारतीय जीवन का पूरा परिचय कराते थे– भारतीय परिवार, पारस्परिक व्यवहार, बचपन, शिक्षा, रोज़गार, शहर, सम्बन्ध और तमाम परिवर्तन. विद्यार्थी विनोद के माध्यम से भारत की सैर कर लेते थे. और जब वे भारत आने का अवसर पाते तो विनोद के घर, शहर, बाजार घूम लेना चाहते. अकबर-बीरबल के किस्सों के माध्यम से भी हमने विद्यार्थियों को हिन्दी से जोड़ने का प्रयास किया.भारतीय फ़िल्में और गीत उन्हें बहुत प्रिय थे. हर सप्ताह फिल्म क्लब में वे चुनी हुई हिन्दी फिल्म देखते और उस पर चर्चा भी करते. बौलीवुड नृत्य समूह की प्रस्तुतियों में वे हिन्दी ग...
बुदापैश्त डायरी-2 : भाषा का पुल

बुदापैश्त डायरी-2 : भाषा का पुल

संस्मरण
डॉ विजया सती दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से हाल में ही सेवानिवृत्त हुई हैं। इससे पहले आप विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हिन्दी – ऐलते विश्वविद्यालय, बुदापैश्त, हंगरी में तथा प्रोफ़ेसर हिन्दी – हान्कुक यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़ॉरन स्टडीज़, सिओल, दक्षिण कोरिया में कार्यरत रहीं। साथ ही महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, पुस्तक समीक्षा, संस्मरण, आलेख निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं। विजया सती जी अब ‘हिमाँतर’ के लिए ‘देश-परदेश’ नाम से कॉलम लिखने जा रही हैं। इस कॉलम के जरिए आप घर बैठे परदेश की यात्रा का अनुभव करेंगे। देश—परदेश भाग—2 डॉ. विजया सती यूरोप के केन्द्र में जागते हुए से इस देश हंगरी की राजधानी बुदापैश्त में पहुंचे दो महीने से अधिक हो गए. इतना समय बीत जाने तक भी, अभी बहुत कुछ नया, अनपहचाना, अनजाना, अपरिचित सा ही लगता. अप्रैल के अंत और वसंत के आरम्भ में मौसम कई करवटें लेने लगा. कभी तेज...