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ईजा को ‘पाख’ चाहिए ‘छत’ नहीं

ईजा को ‘पाख’ चाहिए ‘छत’ नहीं

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मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—39 प्रकाश उप्रेती पहाड़ के घरों की संरचना में 'पाख' की बड़ी अहम भूमिका होती थी. "पाख" मतलब छत. इसकी पूरी संरचना में धूप, बरसात और एस्थेटिक का बड़ा ध्यान रखा जाता था. because पाख सुंदर भी लगे और टिकाऊ भी हो इसके लिए रामनगर से स्पेशल पत्थर मँगा कर लगाए जाते थे. रामनगर से पत्थर मंगाना तब कोई छोटी बात नहीं होती थी. अगर गाँव भर में कोई मँगा ले तो कहते थे-"सेठ आदिम छु, पख़्म हैं रामनगर बे पथर ल्या रहो" (सेठ आदमी है, छत के लिए रामनगर से पत्थर लाया है). ज्योतिष पाख की संरचना में एक 'धुरेणी' because (छत के बीचों- बीच बनी मेंड सी) दूसरी, "दन्यार" (छत के आगे के हिस्से में लगे पत्थर, जिनसे बारिश का पानी सीधे नीचे जाता था) और तीसरी चीज होती थी "धुँवार" (रोशन दान). इनसे ही पाख का एस्थेटिक बनता था. ज्योतिष पाख में जो "धुरेणी" होती थी वह सबसे महत्वपूर्ण थी. वही...