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भारत में भौमजल की दशा और दिशा : एक भूवैज्ञानिक विश्लेषण

भारत में भौमजल की दशा और दिशा : एक भूवैज्ञानिक विश्लेषण

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-20 डॉ. मोहन चंद तिवारी भारत एक विकासशील देश है.प्रत्येक क्षेत्र में because उसकी प्रगति हो रही है और उसकी जनसंख्या में भी वृद्धि हो रही है.अतः वर्ष 2025 तक 1093 बिलियन क्यूबिक मीटर्स जल की आवश्यकता होगी. इसके लिए वर्षाजल को बहकर समुद्र में जाने से रोकने के लिए वर्षाजल संग्रहण (रेन हार्वेस्टिंग) ही शहरों के लिये बड़ा कारगर उपाय है. इसके लिए छतों का पानी एकत्रित कर इससे जलभृतों (एक्वीफर्स) का पुनर्भरण किया जाना बहुत जरूरी है ताकि भौमजल का संवर्धन हो सके. देश की महत्त्वपूर्ण सम्पदाओं में जल संसाधन एक प्रमुख घटक है. देश का धरातलीय जल एवं भौमजल संसाधन कृषि, पेयजल, औद्योगिक गतिविधियाँ,जल विद्युत उत्पादन, पशुधन उत्पादन, वनरोपण, मत्स्य पालन, नौकायन और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों आदि में मुख्य भूमिका निभाता है. वराहमिहिर जल संसाधन का प्राथमिक स्रोत वर्षण (प्रेसिपिटेशन...