Tag: डॉ. गिरिजा किशोर पाठक

न्याय प्रियता ने राजा गोरिया को भगवान बना दिया   

न्याय प्रियता ने राजा गोरिया को भगवान बना दिया   

धर्मस्थल
डॉ. गिरिजा किशोर पाठक   18वीं सदी के जनेवा के महान becauseराजनीतिक दार्शनिक जॉन जैकब रूसो ने मनुष्य के बारे में कहा था कि ‘मनुष्य स्वतंत्र पैदा होता है किन्तु हर तरफ वह जंजीरों में जकड़ा राहत है.' मनुष्य स्वयं को जंजीरों में जकड़ा जाना इसलिए स्वीकार करता है और अपनी स्वतंत्रता को राज्य जैसी संस्था को इसलिए समर्पित कर देता है की राज्य उसके जीवन, संपत्ति, इज्जत, आबरू और सम्मान की रक्षा करे. कुमायूँ में राजतन्त्र के रूप में so कत्तूरी और चंद राजाओं ने राज किया. लगभग 24 (1790-1815 ) साल गोरखे राज किए. 1815 से 1947 तक अंग्रेजों के कमिश्नर राज किए. इस सम्पूर्ण काल में गोल्ज्यू के सिवा किसी राजा या शासक की जनसुनवाई और न्यायप्रियता का डंका कुमाऊ में नहीं बजा. ऐसा लगता है वह काल रामराज्य का स्वर्णिम युग रहा होगा. गोल्ज्यू गोल्ज्यू जहाँ से शिकायत becauseआती पगड़ी बांध अपने घोड़े पर सवार होकर...
एक उजड़े गाँव की दास्तां

एक उजड़े गाँव की दास्तां

पिथौरागढ़
डॉ. गिरिजा किशोर पाठक इतिहास का अवलोकन किया जाये तो देखने को मिलेगा कि कई शहर, गाँव, कस्बे कालखंड विशेष में बसते और उजड़ते रहते हैं. कई सभ्यतायें और संस्कृतियाँ इतिहास का पन्ना बन कर रह जाती हैं. मोसोपोटामियां, सिंधु घाटी से लेकर कई सभ्यतायें आज पुरातात्विक अनुसंधान के विषय हैं. हाँ,  यह सच है कि शहरों के उजड़ने और बसने के कई कारण होते हैं. उत्तराखंड के संदर्भ में बात की जाय तो बड़े चौकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. ब्रिटिश इंडिया में जो गाँव शत-प्रतिशत आवाद थे आजादी के सात दशकों बाद आज ये वीरान और बंजर हो गए हैं. जबकि ब्रिटिश भारत का विकास व्यापारिक हितों से प्रभावित था उसमें लोक कल्याणकारी राज्य का कोई दृष्टिकोण निहित नहीं था. सन 1947 के बाद तो एक लोकतान्त्रिक, लोक कल्याणकारी और समाजवादी सरकार ने काम करना शुरू किया. फिर इतना पलायन क्यों?  यह पलायन पूरे हिमालय और पूरी सीमाओं के लिए ग...