Tag: डॉक्टर

अपने बच्‍चों को पढ़ाएं नैतिक शिक्षा का पाठ

अपने बच्‍चों को पढ़ाएं नैतिक शिक्षा का पाठ

साहित्‍य-संस्कृति
कैसे बनता है कोई समाज, कौन हैं ये लोग? डॉ. दीपा चौहान राणा बिना किसी व्यक्ति विशेष के किसी समाज का निर्माण नहीं हो सकता है. हम मानव ही सभी समाज की नींव हैं. लेकिन इसी समाज में हमें सामाजिक बुराई देखने को मिलती है, एक से एक घिनौनी कुरीतियां तब से becauseचली आ रही हैं जब से इंसान इस धरती पर पैदा हुआ. कुरीति उसी कुरीति में से एक है बलात्कार! क्या है बलात्कार? so जब किसी के साथ पूरे बल से उसकी मर्जी के बिना उसकी आत्मा, उसके शरीर तथा उसके अंगों को छुआ या नोचा जाए, वो होता है बलात्कार. कुरीति ऐसी भी क्या है कि कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ इतने बल का प्रयोग करता है? उसके साथ इतना दानव जैसा व्यवहार करता है. ये एक संवेदनशील विषय है, जिस पर सिर्फ तभी बातbecause होती है, जब कोई बेटी या महिला इस घटना की शिकार होती है तभी बस बात होती है, उससे पहले कोई बात नहीं?  इसके क्या कारण हो सकते हैं क...
सिस्टम द्वारा की गई हत्या!

सिस्टम द्वारा की गई हत्या!

किस्से-कहानियां
पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं, अस्पतालों व डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण बहुत—सी गर्भवती महिलाएं असमय मृत्यु का शिकार हो जाती हैं. ऐसी ही पीड़ा को  उजागर करती है यह कहानी कमलेश चंद्र जोशी रुकमा आज बहुत खुश थी कि उसकी जिंदगी में एक नए मेहमान का आगमन होने वाला था और अब वह दो से तीन होने वाले थे. गांव  से लगभग 100 किलोमीटर दूर शहर में स्थित अस्पताल से रिपोर्ट लेने के बाद रुकमा अपनी सास के साथ वापस घर की ओर चल दी. रुकमा मैदानी क्षेत्र में पली बड़ी थी इसलिए पहाड़ों की घुमावदार सड़कों की उसे आदत नहीं थी जिस वजह से वह जब भी पहाड़ों में बस या कार से सफर करती तो उल्टियां करते परेशान हो जाती. लेकिन आज उसका ध्यान बस के सफर पर नहीं बल्कि अपनी जिंदगी में आने वाले नए मेहमान पर केंद्रित था. वह उसको लेकर न जाने कितने ही सपने बुन रही थी. इस दौरान उसे पता ही नहीं चला कि कब शहर से गांव तक की इतनी ल...
बहुत कठिन है माँ हो जाना

बहुत कठिन है माँ हो जाना

समसामयिक
डॉ. दीपशिखा जैसे-जैसे कोविड-19 भारत में भी अपने पैर फैलाता जा रहा, वैसे-वैसे मेरी एक माँ के तौर पर चिंता बढ़ती जा रही है. ये चिंताएं मुझ तक महदूद नहीं हैं, मेरे जैसी हर माँ सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चे/बच्चों के लिए चिंतित है. ऊपर से जब से प्रेगनेंट हाथी की मौत वाली न्यूज सुनी है, हर समय दिमाग़ में वो ही चलता रहता है. फिर सुशांत की आत्महत्या की ख़बर. अब भारतीय सीमाओं पर बढ़ता तनाव. बड़ी घबराहट सी होती है. अजीब-अजीब ख़्याल, सपने आते हैं. कुछ समय से बस केवल नकारात्मकता ही फैल रही है विश्व में. हर माँ के लिए ये सबसे कठिन समय है मेरी नज़रों में. मैं भी नयी-नयी माँ बनी हूँ ना, तो ज़्यादा महसूस कर रही हूँ. एक माँ कैसे अपने बच्चे को शरहदों की रखवाली करने भेजती होगी? फिर कैसे वो सो पाती होगी? कैसे बहुत दिनों तक उस की आवाज़ सुने बिना निवाला गले से जाता होगा उसके. जब सुनती होगी स...