Tag: झंगोरा

स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम- झंगोरा की खीर

स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम- झंगोरा की खीर

खान-पान
उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों में झंगोरा (सामा चावल या बर्नयार्ड मिलेट) से बनी खीर एक ऐसा व्यंजन है जो स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है. यह न केवल स्थानीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पौष्टिकता के लिए पहचान बना चुकी है. इस खीर को व्रत-त्योहारों से लेकर राजकीय भोजों तक विशेष स्थान प्राप्त है.  2013 में ब्रिटिश राजकुमार प्रिंस चार्ल्स और कैमिला पार्कर के उत्तराखंड दौरे के दौरान इस खीर को परोसा गया, जिसके बाद उन्होंने इसकी विधि जानने की इच्छा व्यक्त की. 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे राष्ट्रपति भवन के मेन्यू में शामिल करवाया. यह घटना झंगोरा की खीर को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मील का पत्थर साबित हुई. पोषक तत्वों का समृद्ध स्रोत झंगोरा में भारी मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं, जो इसे एक संपूर्ण...
श्रीअन्न को अपने भोजन का हिस्सा बनाया जाना नितान्त आवश्यक : मैती 

श्रीअन्न को अपने भोजन का हिस्सा बनाया जाना नितान्त आवश्यक : मैती 

देहरादून
श्रीअन्न “एक मूल्यवर्धित पौष्टिक आहार अथवा भ्रांति आहार” संगोष्ठी का आयोजन देहरादून. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड तथा जिला परियोजना समग्र शिक्षा देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में 4 सितंबर 2023 को राजकीय इंटर कॉलेज खुडबुडा देहरादून में श्री अन्न-"एक मूल्यवर्धित पौष्टिक आहार अथवा भ्रांति आहार" (Millets  A Super Food or A Diet Fad) विषय पर विज्ञान संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदीप कुमार रावत मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून, बी0एस0 गडिया प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज खुडबुडा एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद कल्याण सिंह "मैती" मुख्य अतिथि द्वारा संयुक्त रूप से मां शारदे के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया. विकासखंड रायपुर विज्ञान समन्वयक एवं प्रवक्ता राजकीय इंटर कॉलेज खुडबुडा  दलजीत सिंह के मार्ग- निर्देशन में आदित्य, निशांत, रोहित, प्रियांशु तथा कृ...
अनाज भंडारण की अनूठी परम्परा है कोठार

अनाज भंडारण की अनूठी परम्परा है कोठार

उत्तराखंड हलचल
आशिता डोभाल कोठार यानी वह गोदाम जिसमें अनाज रखा जाता है, अन्न का भंडारण का वह साधन जिसमें धान, गेंहू, कोदू, झंगोरा, चौलाई या दालें सालों तक रखी जा सकती है. कोठार में रखे हुए इन धनधान्य के खराब होने की संभावना न के बराबर होती है. कोठार को पहाड़ी कोल्ड स्टोर के नाम से जाना जाता है, जिसमें धान, गेंहू, कोदू, झंगोरा, चौलाई या दालें सुरक्षित रखी जाती है. कोठार अथवा कुठार जो कि मुख्यतः देवदार की लकड़ी के बने होते हैं और ये सिर्फ भंडार ही नहीं हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग भी रहे हैं, इस भंडार में हमारे बुजुर्गों ने कई पीढ़ियों तक अपने अनाजों और जरूरत के सारे साजो-सामान रखे हैं. ये दिखने में जितने आकर्षक होते हैं उतने ही फायदेमंद भी. पहाड़ों में पुराने समय में लोग सिर्फ खेती किसानी को ही बढ़ावा देते थे और उसी खेती किसानी के जरिए उनकी आमदनी भी होती थी वस्तु विनिमय का जमाना भी था तो लोग बाज़ार और...