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जलविज्ञान के आविष्कर्ता ऋषि ‘सिन्धुद्वीप’ और उनके जलचिकित्सा मंत्र

जलविज्ञान के आविष्कर्ता ऋषि ‘सिन्धुद्वीप’ और उनके जलचिकित्सा मंत्र

साहित्‍य-संस्कृति
भारत की जल संस्कृति-5 डॉ. मोहन चन्द तिवारी विश्व की प्राचीनतम सभ्यता वैदिक सभ्यता का उद्भव व विकास सिन्धु-सरस्वती और गंगा-यमुना की नदी-घाटियों में हुआ. इसी लिए इस संस्कृति को 'नदीमातृक संस्कृति' के रूप में जाना जाता है.ऋग्वेद के मंत्रों में यह प्रार्थना की गई है कि ये मातृतुल्य नदियां लोगों को मधु और घृत के समान पुष्टिवर्धक जल प्रदान करें- “सरस्वती सरयुः सिन्धुरुर्मिभिर्महो महीरवसाना यन्तु वक्षणीः. देवीरापो मातरः सूदमित्न्वो घृत्वत्पयो मधुमन्नो अर्चत..”             - ऋ.,10.64.9 वैदिक कालीन भारतजनों ने ही सरस्वती नदी के तटों पर यज्ञ करते हुए इस ब्रह्म देश को सर्वप्रथम 'भारत' नाम प्रदान किया था जैसा कि ऋग्वेद के इस मन्त्र से स्पष्ट है- "विश्वामित्रस्य रक्षति ब्रह्मेदं भारतं जनम्."                           -ऋग्वेद,3.53.12 सरस्वती नदी के तटों पर रची बसी भारत जनों की इस सभ्यता...