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 सबके और सबसे परे: अतिक्रामी श्रीकृष्ण

 सबके और सबसे परे: अतिक्रामी श्रीकृष्ण

लोक पर्व-त्योहार
जन्माष्टमी (30 अगस्त) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  भारतीय जीवन में आस्था के सजीव आधार because भगवान श्रीकृष्ण के जितने नाम और रूप हैं वे मनुष्य की कल्पना की परीक्षा लेते से लगते हैं. देवकीसुत, यदुनंदन, माधव, मुकुंद, केशव, श्याम, गोपाल, गोपिका-वल्लभ, गोविन्द, अच्युत, दामोदर, मोहन, यशोदानंदन, वासुदेव, राधावर, मधुसूदन, गोवर्धनधारी, कन्हैया, नन्द-नंदन, मुरारी, लीला-पुरुषोत्तम, बांके-बिहारी, मुरलीधर, लालबिहारी, वनमाली, वृन्दावन-विहारी आदि सभी नाम ख़ास-ख़ास देश-काल से जुड़े हुए हैं और उनके साथ-साथ जुडीं हुई हैं अनेक रोचक और मर्मस्पर्शी कथाएँ जो श्रीकृष्ण की अनेकानेक छवियों की सुधियों में सराबोर करती चलती हैं. संसाधनों पूरे भारत में साहित्य, लोक-कला, संगीत, नृत्य, चित्र-कला, तथा स्थापत्य सभी क्षेत्रों में श्रीकृष्ण की अमिट छाप देखी जा सकती है. चित्रों में माखन चोर बाल श्रीकृष्ण, मोर पंख, क...