होरी खेरे तो अइयो मेरे गांव!
फाल्गुनी में धमार का सौरव
मंजू दिल से… भाग-12
मंजू काला
होली पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है! राग, अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही, पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगी छटा के साथ अपनी पूर्णता को प्राप्त हो जाती है! फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं. होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है. उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है. इस दिन से फाग और धमार का गायन प्रारंभ हो जाता है. खेतों में सरसों खिल उठती है. बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है. पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं. खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं.
देश के बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं! चारों तरफ़ रंगों की ...