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पप्पू कार्की: सुरीली आवाज का जादूगर

पप्पू कार्की: सुरीली आवाज का जादूगर

संस्मरण
चारु तिवारी हम लोग उन दिनों राजधानी गैरसैंण आंदोलन के लिये जन संपर्क करने पहाड़ के हर हिस्से में जा रहे थे. हमारी एक महत्वपूर्ण बैठक हल्द्वानी में थी. बहुत सारे साथी जुटे. कुमाऊं क्षेत्र के तो थे ही गढ़वाल के दूरस्थ क्षेत्रों से भी कई साथी आये थे. हमारे हल्द्वानी के साथी सीए सरोज आनंद जोशी ने कहा कि बैठक शुरू होने से पहले कुछ गीत गा लेंगे. हम अपने कार्यक्रमों को जनगीतों से ही शुरू भी करते हैं. उन्होंने कहा कि मैं कुछ अच्छे गाने वालों से बात करता हूं. बैठक शुरू होने से पहले हारमोनियम के साथ गीत बजा- ‘पहाडा ठंडो पांणी, सुण कसि मीठी वाणी छोड़न नी लागनी... हाय... छोड़न नी लागनी.’ वह पूरी तरह गीत में डूब कर. लय, सुर, मिठास और भाव-भंगिमा के साथ गाया गीत आज भी स्मृतियों में ज्यों का त्यों है. लगता है कहीं आसपास गीत गा रहा है पप्पू. उसमें शालीनता प्रकृति प्रदत्त थी. बहुत कोमल और बहुत...