हिमालयन अरोमा: हिमालयी ग्वैरिल उर्फ कचनार
हिमालयन अरोमा भाग-1
मंजू काला
बासंती दोपहरियों में हिमालय के because आंगन में विचरण करते हुए मैं अक्सर दुपहरी हवाओं के साथ अठखेलियाँ करते कचनार के पुष्पों को निहारती हूँ! जब मधुऋतु का यह मनहर पुष्प पतझड़ में हिमवंत को सारे पत्ते न्योछावर कर नूतन किसलयों की परवाह किए बगैर वसंतागमन के पूर्व ही खिलखिल हँसने लगता है- तब मै भी सकुन से अपनी चेहरे पर घिर आयी शरारती अलकों को संवार कर चाय की चुस्कियां लेने लगती हूँ!
ज्योतिष
हिमवन में एकबारगी इसका खिलखिलाना किसी को नागवार भले लगे, किंतु यह मनभावन पुष्प अपने कर्तव्य को निभाकर मन को प्रफुल्लित कर ही देता है. दूसरी ओर, अन्य पुष्पों को भी खिलने को प्रेरित करता है. इस प्रकार, सबको प्रमुदित कर अपना अनुसरण करने को मानो बाध्य कर देता है. वसंत के इस संदेशवाहक को सबसे पहले हुलसित देखकर किस मानुष का because ह्रदय-कमल नहीं खिल उठता! अपने ...