किसके हाथों शिक्षा की पतवार
कमलेश उप्रेती
इक्कीसवीं सदी के बहुत प्रतिभाशाली बुद्धिजीवी और हिब्रू यूनिवर्सिटी युरोशलम में प्रोफेसर युवाल नोवा हरारी अपने एक लेख में बताते हैं “मनुष्य हमेशा से उपकरणों के आविष्कार करने में माहिर रहा है उन्हें उपयोग करने में नहीं. 1950 के दशक में जब आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की खोज हुई तो वैज्ञानिकों का सपना इसके द्वारा मानव मस्तिष्क को पूरी तरह रिप्लेस कर देने का था. मगर आज आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पूरी तरह से एलीट क्लास अमीरों के हाथों में है जो इसका उपयोग दुनिया को इसकी लत लगाने और उससे लाभ कमाने में करता है”. इससे मुझे आज का अपने आस पास का परिदृश्य नजर आता है.
ऑनलाइन शिक्षण के नाम पर एक व्हाइट बोर्ड में कैमरा फोकस करके दो चार सवाल लगा देना और बोरियत भरी आवाज़ में उसे सुना देना यही सब टीवी चैनलों पर दिख रहा है. हमारी कक्षाओं का वास्तविक स्वरूप भी अगर केवल बोर्ड और अध्यापक के व्...