Tag: अलकनंदा

जन सरोकारों को समर्पित पत्रिका ‘अलकनंदा’ संस्थापक संपादक स्व.स्वरूप ढौंढियाल की 91वीं जयंती सम्पन्न

जन सरोकारों को समर्पित पत्रिका ‘अलकनंदा’ संस्थापक संपादक स्व.स्वरूप ढौंढियाल की 91वीं जयंती सम्पन्न

दिल्ली-एनसीआर
सी एम पपनैं, वरिष्ठ पत्रकार  नई दिल्ली. उत्तराखंड के साहित्यकारों, पत्रकारों, विभिन्न सांस्कृतिक व सामाजिक संगठनों से जुड़े रंगकर्मियों व समाज सेवियों की उपस्थिति में जन सरोकारों को समर्पित मासिक पत्रिका 'अलकनंदा' परिवार द्वारा अपने संस्थापक संपादक स्व.स्वरूप ढौंडियाल की 91वीं जयंती का आयोजन पूर्वी किदवई नगर स्थित बद्रीनारायण मंदिर प्रवचन सभागार में 29 सितंबर की सायं आयोजित की गई. साहित्यकार हेमा उनियाल, रमेश चन्द्र घिल्डियाल, दिनेश ध्यानी, दिल्ली पुलिस एसीपी राकेश रावत, भारत सरकार सेवानिवृत अधिकारी महेश चन्द्र, डॉ.बी सी लखेड़ा, ललित प्रसाद ढौंढियाल, वासवानंद ढौंढियाल, मणी ढौंढियाल, पी डी दिवान, प्रोफेसर पवन मैठाणी, वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान, चारू तिवारी, योगम्बर सिंह बिष्ट, चन्द्र मोहन पपनैं, शशि मोहन रवांल्टा, रंगकर्मी बृज मोहन वेदवाल, दर्शन सिंह रावत, उमेश बंदूनी इत्यादि इत्...
सीएम धामी ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेंट की महासू देवता की प्रतिकृति

सीएम धामी ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेंट की महासू देवता की प्रतिकृति

दिल्ली-एनसीआर
मानसखण्ड मन्दिर माला मिशन के लिए 01 हजार करोड़ रूपये की सहायता प्रदान करने का अनुरोध नई दिल्ली. मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर उन्हें तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का दायित्व संभालने पर हार्दिक शुभकामनाएं दी. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश समग्र विकास के नए आयाम प्राप्त कर सम्पूर्ण विश्व में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करने में सफल होगा.  मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को महासू मंदिर की प्रतिकृति भेंट की. प्रधानमंत्री श्री मोदी से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने उन्हें राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों की जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु जल विद्युत परियोजनायें राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (ज...
याद करना लोक-संस्कृति के अध्येता को

याद करना लोक-संस्कृति के अध्येता को

उत्तराखंड हलचल
डॉ. गोविन्द चातक की पुण्यतिथि (9 जून, 2007) पर विशेष चारु तिवारी ‘‘सदानीरा अलकनंदा की तरल तरंगों ने राग और स्वर देकर, उत्तुंग देवदारु के विटपों ने सुगंधिमय स्वाभिमान देकर और हिमवन्त की सौंदर्यमयी प्रकृति ने अनुभूतियां प्रदान कर गोविन्द चातक की तरुणाई का संस्कार किया है. इसलिये चातक प्रकृत कवि, कोमल भावों के उपासक, लोक जीवनके गायक और शब्द शिल्पी बने हुये हैं.’’ (सम्मेलन पत्रिकाः लोक संस्कृति अंक) गढ़वाल की लोकविधाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में ही उन्होंने अपना जीवन लगा दिया. एक गहन अध्येता, संवेदनशील लेखक, प्रतिबद्ध शिक्षक, कुशल नाटककार, गूढ़ भाषाविद, प्रबुद्ध आलोचक, लोक विधाओं के शोधकर्ता के रूप में उनका योगदान हमेशा याद किया जायेगा. गढ़वाली भाषा और साहित्य के एक ज्ञानकोश के रूप में हम सब उन्हें जानते हैं. वे अपने आप में एक पहाड़ थे. लोक साहित्य और लोकभाषा के. लोक वि...