आज महाभारत में शकुनि हैं दुर्योधन हैं पर न कृष्ण हैं, न अर्जुन
कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष
डॉ. मोहन चंद तिवारी
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व समूचे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.आज के ही दिन भगवान् कृष्ण ने द्वापर युग में दुराचारी कंस के अत्याचार और आतंक से मुक्ति दिलाने तथा धर्म की पुनर्स्थापना के लिए जन्म लिया था. गीता में भगवान् कृष्ण स्वयं कहते हैं कि "जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म की वृद्धि होती है तो मैं धर्म की स्थापना के लिए हर युग में अवतार लेता हूं-
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत.
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् .
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥"
-गीता‚ 4.7-8
ज्योतिष
गीता में धर्म की अवधारणा सज्जन के संरक्षण और दुर्जन के विनाश से जुड़ी है तो वहीं आधुनिक संदर्भ में ‘धर्म’ से तात्पर्य है समाज व्यवस्था को युगानुसारी मानवीय मूल्यों की दृष्टि से पुन...