Tag: अमृत महोत्सव

नरेन्द्र सिंह नेगी को उनके 75वें जन्म दिवस पर मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

नरेन्द्र सिंह नेगी को उनके 75वें जन्म दिवस पर मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

देहरादून
मातृभाषा में 13वीं शताब्दी से लेकर 1962 तक के वीर भड़ों और सेना के जवानों सहित 12 लोकनायकों के दस्तावेज हैं पुस्तक में सामिल देहरादून. मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित सभागार में प्रसिद्ध लोक गायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी के 75वें जन्म दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका सम्मान कर शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हमारा लोकनायक पुस्तक का विमोचन भी किया. पुस्तक में मातृभाषा में 13वीं शताब्दी से लेकर 1962 तक के वीर भड़ों और सेना के जवानों सहित 12 लोकनायकों के दस्तावेज सामिल हैं. मुख्यमंत्री ने श्री नरेन्द्र सिंह नेगी को विश्व को अलोकित करने वाली पहाड़ की आवाज बताते हुये उनके दीर्घायु की कामना की. उन्होंने कहा कि हमारी देवभूमि वीर भूमि भी है. हमारा इतिहास वीरों की वीरता से भरा है. हमारे वीरों की वीरता का वर्णन लिखित रूप में कम तथा श्रुति परम्परा में ज्यादा रहा है. हमारा ...
स्वतंत्र भारत में स्वराज की प्रतिष्ठा

स्वतंत्र भारत में स्वराज की प्रतिष्ठा

साहित्‍य-संस्कृति
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2022) पर विशेष  प्रो. गिरीश्वर मिश्र  आज़ादी मिलने के पचहत्तर साल बाद देश स्वतंत्रता का ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है तो यह विचार करने की इच्छा और स्वाभाविक उत्सुकता पैदा होती है कि स्वतंत्र भारत का जो स्वप्न देखा गया था वह किस रूप में यथार्थ के धरातल पर उतरा. स्वाधीनता संग्राम का प्रयोजन यह था कि भारत को न केवल उसका अपना खोया हुआ स्वरूप वापस मिले बल्कि वह विश्व में अपनी मानवीय because भूमिका को भी समुचित ढंग से निभा सके. देश या राष्ट्र का भौगोलिक अस्तित्व तो होता है पर वह निरा भौतिक पदार्थ नहीं होता जिसमें कोई परिवर्तन न होता हो. वह एक गत्यात्मक रचना है और उसी दृष्टि से विचार किया जाना उचित होगा. बंकिम बाबू ने भारत माता की वन्दना करते हुए उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में ‘सुजलां सुफलां मलयज शीतलां शस्य श्यामलां मातरं वन्दे मातरं‘ का अमर गान रचा था. ‘सुखदां वरदां म...
अमृत पर्व कुम्भ: सनातन संस्कृति, परम्परा और ज्ञानामृत चेतना से पुनः संवाद….

अमृत पर्व कुम्भ: सनातन संस्कृति, परम्परा और ज्ञानामृत चेतना से पुनः संवाद….

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. मोहन चंद तिवारी नववर्ष 2022 के अवसर पर, जब देश अपनी आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की वर्षगांठ भी मना रहा है, यह बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि इस नए वर्ष में मेरी because चिर प्रतीक्षित पुस्तक "अमृत पर्व कुम्भ: इतिहास और परम्परा" देश के लब्धप्रतिष्ठ प्रकाशन, ईस्टर्न बुक लिंकर्स, दिल्ली के माध्यम से सुधीजन पाठकों के करकमलों में शीघ्रातिशीघ्र पहुंचने वाली है. ज्योतिष हमारे देश के बुद्धिजीवियों और सन्त महात्माओं ने आदिकाल से चली आ रही  कुम्भ परम्परा को महज एक धार्मिक मेले की नजरिए से ही देखा है, जिसका आयोजन चार तीर्थ स्थानों पर तीन सालों के अंतराल पर किया जाता है. किन्तु इस कुम्भ अवधारणा के पीछे नदियों के संरक्षण, प्रकृति संरक्षण,  नदीमातृक संस्कृति और पर्यावरण चिंतन because और अखंड राष्ट्रीय एकता का जो विचार हजारों वर्षों से इस भारत देश को राष्ट्रीय अस्मिता के भाव से जोड़ रहा था ...