मातृभाषा और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण

मातृभाषा और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण

मातृभाषा दिवस (22 फ़रवरी) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र मनुष्य इस अर्थ में भाषाजीवी कहा जा सकता है कि उसका सारा जीवन व्यापार भाषा के माध्यम से ही होता है. उसका मानस भाषा में ही बसता है और उसी से रचा जाता है.because दुनिया के साथ हमारा रिश्ता भाषा की मध्यस्थता के बिना अकल्पनीय है. […]

Read More