देश—विदेश

आत्मनिर्भर भारत की नींव है अनुसंधान- स्मृति ईरानी

आत्मनिर्भर भारत की नींव है अनुसंधान- स्मृति ईरानी
  • हिमांतर वेब डेस्क

विविध क्षेत्रों में किये जा रहे शोध कार्यों के बीच समन्वय आवश्यक है जिससे जीवन को सुगम बनाया जा सके. वर्तमान सरकार विभिन्न मंत्रालयों के मध्य समन्वय स्थापित कर शोध कार्य को तकनीकी से जोड़ने का कार्य कर रही है. उक्त बातें महिला एवं बाल विकासमंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने भारतीय शिक्षण मण्डल के युवा आयाम एवं रिसर्च फॉर रिसर्जेन्स फाउंडेशन, नागपुर द्वारा ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटिया विश्वविद्यालय में आयोजित युवा शोधवीर समागम के समापन समारोह में युवा शोधवीरों को प्रेषित वीडियो सन्देश के माध्यम से कही.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार शोध एवं तकनीकी के माध्यम से समाज को आत्मनिर्भर बनाने का निरन्तर प्रयास कर रही है. आज आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ ही सामाजिक आत्मनिर्भरता भी आवश्यक है.

इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो० सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारत के इतिहास लेखन में कई विसंगतियां मौजूद हैं, जिसे दूर करने की आवश्यकता है. जिस दिन भारत का युवा- इण्डिया से भारत की ओर यात्रा प्रारंभ करेगा, भारतीय समाज में नये सूर्योदय का आरम्भ होगा. आज वैश्विक पटल पर भारतवंशी सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठता का परचम लहरा रहे हैं, परन्तु श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए उस भारत के तरफ भी दृष्टि रखने की जरूरत है, जो किसी कारणवश प्रगति के मार्ग पर पिछड़ गया है.

किसी भी देश, समाज एवं राष्ट्र के विचार का एक केंद्र बिंदु होता है. भारतीय समाज में त्याग और सेवा राष्ट्रीय केंद्र बिंदु हैं. समाज के प्रति संवेदना सेवाभाव पैदा करती है. जितना ह्रदय का विस्तार होगा, उतना अधिक सेवाभाव जागृत होगा एवं व्यक्ति समाज के प्रति संवेदनशील होगा. हमारे शोध की दिशा समाज में व्याप्त अवरोधक को समाप्त करने की होनी चाहिए. -डॉ० आशीष गौतम

भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि जब हम स्वतंत्रता का महाशताब्दी वर्ष मनायेंगे, एक नये भारत को देखेंगे, ऐसा संकल्प लेना होगा.

शोधवीरों को दायित्ववान बनना होगा, तभी शोध एवं देश की दिशा एवं दशा बदलेगी. शोध का उद्देश्य जीवन एवं समाज को बेहतर बनाना है. एक शिक्षक इतिहास बना सकता है, चाणक्य ने यह कर दिखाया. हमें सुभाष एवं बिस्मिल के सपनों का भारत बनाना है तो भारत निर्माण के यज्ञ में आहुति को आगे आना होगा.

समापन समारोह के दौरान ‘सुभाष-स्वराज-सरकार’ के शोध लेखन में राष्ट्रीय स्तर पर स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया. बिहार के मिथिलेश राज को प्रथम, उत्तराखण्ड के आभा नेगी को द्वितीय एवं हैदराबाद के डी साईंचरण को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ, इसके अतिरिक्त 6 प्रतिभागियों को प्रोत्साहन एवं 10 प्रतिभागियों को विशिष्ट पुरस्कार भी प्रदान किया गया. प्रथम पुरस्कार के रूप में 1 लाख, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 75 हजार, एवं तृतीय पुरस्कार के रूप में 50 हजार का शोध अनुदान प्रदान किया जायेगा.

समागम में आये शोधवीरों को सम्बोधित करते हुए डी आर डी ओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० संजीव कुमार जोशी ने कहा कि इतिहास बनाने के पीछे अनगिनत लोगों का त्याग एवं समर्पण होता है. आज भारत विज्ञान एवं रक्षा क्षेत्र में सफलता के मार्ग पर अग्रसर है, तो इसके पीछे हमारे वैज्ञानिकों का त्याग छिपा हुआ है.

किसी भी समस्या को जाने बिना उसका समाधान नहीं किया जा सकता है. गलत एवं सही के मध्य विभेद की समझ ही समाधान का मार्ग प्रशस्त करती है. प्रसिद्ध समाजसेवी डॉ० आशीष गौतम ने कहा कि किसी भी देश, समाज एवं राष्ट्र के विचार का एक केंद्र बिंदु होता है. भारतीय समाज में त्याग और सेवा राष्ट्रीय केंद्र बिंदु हैं. समाज के प्रति संवेदना सेवाभाव पैदा करती है. जितना ह्रदय का विस्तार होगा, उतना अधिक सेवाभाव जागृत होगा एवं व्यक्ति समाज के प्रति संवेदनशील होगा. हमारे शोध की दिशा समाज में व्याप्त अवरोधक को समाप्त करने की होनी चाहिए.

Share this:
About Author

Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *