उत्तराखंड के विख्यात पर्यटन नगर रानीखेत में आयोजित होगा नौवां ‘किताब कौतिक’

  • सी एम पपनैं, वरिष्ठ पत्रकार

रानीखेत। ‘क्रिएटिव उत्तराखंड-म्योर पहाड़’ द्वारा उत्तराखंड के ख्यातिरत पर्यटन नगर रानीखेत में आगामी माह मई के 10, 11 और 12 को नौवें ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का आयोजन रानीखेत छावनी बोर्ड एवं रानीखेत सांस्कृतिक समिति के सहयोग से छावनी परिषद के बहुउद्देशीय भवन में वरिष्ठ पत्रकार, रंगकर्मी व समाजसेवी विमल सती के संयोजन में आयोजित किया जा रहा है।

प्राकृतिक सुषमा की दृष्टि से सदा सैलानियों को आकर्षित करता रहा उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल का सु-विख्यात पयर्टन नगर रानीखेत में आयोजित किए जा रहे ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का आयोजन बड़े स्तर पर आयोजित किए जाने की रूपरेखा तैयार की गई है। आयोजित हो रहे किताब कौतिक में आयोजकों द्वारा सुप्रसिद्ध लेखकों से परिसंवाद, पुस्तक विमोचन, सैन्य परंपरा, कृषि बागवानी, बढ़ती नशा प्रवृत्ति, हिन्दी साहित्य में कविता विधा सहित अनेक साहित्यिक एवं सामयिक विषयों पर परिचर्चा, कवि सम्मेलन के साथ-साथ नेचर वाक, स्टार गेजिंग, बाल प्रहरी लेखन कार्यशाला (5 से 9 मई), सांस्कृतिक संध्या, स्कूली बच्चों के लिए गतिविधियां, स्वयं सहायता समूहों व हस्त-शिल्पियों के स्टाल के बीच लगभग साठ-पैंसठ प्रकाशकों की हजारों पुस्तकों की उपलब्धता हेतु आयोजकों द्वारा बड़े स्तर पर तैयारी की जा रही है।

आयोजित किए जा रहे तीन दिनी किताब कौतिक में नामी साहित्यकारों एवं लोक कलाकारों, साहित्य प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय स्कूली छात्र-छात्राओं तथा स्थानीय जनमानस की बड़ी संख्या में भागीदारी कराने की योजना आयोजकों द्वारा बनाई गई है। कई नामी साहित्यकारों व लोक कलाकारों में मौजूदा दौर के जाने-माने कवि गीत चतुर्वेदी, साहित्यकार भावना पंत, प्रसिद्ध जागर गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, पद्मश्री शेखर पाठक, इतिहासकार पुष्पेश पंत, पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी इत्यादि इत्यादि के आयोजित कौतिक में पहुंचने की पुष्टि आयोजक कर चुके हैं।

प्राप्त सूचनानुसार 11 मई को पूर्वाह्न ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का विधिवत श्रीगणेश होगा और सांस्कृतिक संध्या दिवंगत लोकगायक प्रह्लाद मेहरा को समर्पित होगी जिसमें लोकगायक दिवान कनवाल सहित अनेक लोकगायक स्वरांजली देंगे। 12 मई की शाम कवि सम्मेलन आयोजित होगा जिसमें स्थानीय व आमंत्रित कवि भागीदारी करेंगे। नेचर वाक, स्टार गेजिंग सहित कई रोचक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

विख्यात पर्यटन नगर रानीखेत में जिला प्रशासन की मदद के बगैर आयोजित हो रहा किताब कौतिक निश्चय ही आयोजकों के लिए चुनौती भरा जरूर रहेगा लेकिन नगर के हर वर्ग का आयोजकों को भरपूर सहयोग मिलने से सोचा जा सकता है, आयोजित किया जा रहा किताब कौतिक नगर के रहवासियों के साथ-साथ अंचल के अन्य नगरों व कस्बों के लिए भी प्रेरणादाई बनेगा। विगत दशकों व वर्षो में रानीखेत के इतिहास में कई प्रेरणादाई मिशाले रही हैं, जिनमें नगर के उत्साही लोगों द्वारा अनेकों बार विभिन्न विधाओं के प्रभावशाली आयोजनों के माध्यम से नगर को गौरवान्वित किया है, नगर के इतिहास को समृद्ध कर राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर ख्याति अर्जित की है। ‘रानीखेत किताब कौतिक’ का आयोजन भी इस नगर के नाम एक और सुनहरा अध्याय जोड़ने का काम करेगा, नगर को गौरवान्वित करेगा, सोचा जा सकता है।

साहित्य रचना के क्षेत्र में प्रकृति की सुरम्य वादी में बसे रानीखेत का इतिहास खगालने पर ज्ञात होता है सुमित्रा नंदन पंत, राहुल सांकृत्यायन, निर्मल वर्मा, नामवर सिंह, अज्ञेय, उमर अंसारी, रामकुमार, उपेंद्र नाथ अश्क, यमुना दत्त वैष्णव ‘अशोक’, रमेश चंद्र शाह, राजेन्द्र यादव, श्रीपत राय, अकुलेश परिहार, डॉ राम सिंह, दिनेश पाठक इत्यादि इत्यादि जैसे देश के अनेकों ख्यातिरत साहित्यकारों द्वारा रानीखेत की सुरम्य व शांत वादी में साहित्य की विविध विधाओं में श्रेष्ठ गद्य-पद्य रच हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया गया था, रानीखेत को गौरवान्वित किया था।

सर्व विदित है, जीवन में किताबों का महत्व बहुत बड़ा है। किताबें पढ़ कर स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, ध्यान केन्द्रित करने की शक्ति के साथ-साथ भाषा-कौशल तथा रचनात्मकता में वृद्धि होती है। विचारों में विविधता और परिपक्वता आती है। किताबें जीवन में निर्णय लेने की कला सिखाती हैं। किताबें पढ़ कर समाज का एक अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बना जा सकता है। किताबें संघर्ष की सच्ची साथी बन, ज्ञान का संचार कर, हमारे जीवन में गुणात्मक परिवर्तन कर व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक उन्नति तथा मनोरंजन के लिए भी उत्प्रेरक हैं। किताबों का पठन-पाठन कर देश-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं के बारे में तरह-तरह की जानकारी, विचार और तथ्यों का ज्ञान हासिल किया जा सकता है। जीवन के विभिन्न चरणों में किताबों से हासिल ज्ञान एक मार्ग दर्शक के रूप में साथ देता नजर आता है। इसीलिए किताबों को सबसे अच्छा मित्र कहा जाता है।

किताबों को मित्रता का प्रमुख आधार मानते हुए ही विगत दो वर्षो से उत्तराखंड की संस्कृति, पर्यटन और साहित्य को जोड़ने की एक नायाब पहल की जा रही है जो ‘किताब कौथिग’ या ‘किताब कौतिक’ आयोजनों के माध्यम से विस्तार लेती नजर आ रही है। कौथिग, कौतिक, म्यल या मेला अंचल के विभिन्न क्षेत्रों में इन अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं, उत्तराखंड की अमूल्य धरोहरों मेँ स्थानरत रहें हैं। सदियों से अंचल मेँ धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक तथा सामाजिक कारणों से उक्त मेलों का आयोजन होता रहा है जो अंचल की संस्कृति की छटा बिखेरते रहे हैं।

वर्ष 2022 में उत्तराखंड के दो जागरूक शिक्षित युवाओं हेमपंत ‘म्योर पहाड़ मेरि पछयांड़’ पेशे से इंजीनियर व हिमांशु कफलटिया ‘सिटीजन पुस्तकालय अभियान’ एसडीएम टनकपुर द्वारा सांझी सहमति व सामाजिक दायित्व निर्वहन की पालना के तहत उत्तराखंड के टनकपुर में अंचल की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने के लिए 24 व 25 दिसंबर 2022 को पहले ‘किताब कौथिग’ आयोजित करने की प्रभावशाली पहल की गई थी। आयोजित किताबों के इस कौथिग में हजारों लोगों ने शिरकत कर मेले की रौनक बढ़ा, हजारों किताबों का अवलोकन कर अपने पसंदीदा लेखकों व विषयों की किताबों की खरीद फरोख्त की गई थी। आयोजित किताब कौथिग में बाल साहित्य, विज्ञान, पर्यटन, राजनीति, लोक संस्कृति, आध्यात्मिक व पौराणिक साहित्य आदि से संबन्धित हर तरह की उपयोगी किताबों की भरमार देखी गई थी। दर्जनों प्रकाशकों की मौजूदगी ने आयोजित किताब कौथिग की महत्ता को बढ़ाने का काम किया था।

किताब कौथिग के इस अभिनव प्रयास व प्रयोग के पीछे सोच रही एक साथ शिक्षा, साहित्य तथा अंचल की विशिष्ट लोक संस्कृति को आयोजित कौथिग में शामिल कर उक्त विधाओं का संरक्षण व संवर्धन करना तथा अंचल के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की ओर सैलानियों का ध्यान आकर्षित कर पर्यटन को बढ़ावा देना। टनकपुर में पहली बार स्थानीय जन समाज द्वारा एक ऐतिहासिक घटना के तहत नगर में आयोजित किताब कौथिग के अंतर्गत साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भरपूर आनंद लिया गया। आयोजित किताब कौथिग व आयोजकों की सोच की बड़े स्तर पर सराहना की गई थी।

आयोजकों को स्थानीय स्तर पर जनमानस के हर वर्ग से मिले सहयोग से जो प्रोत्साहन व भविष्य की संभावनाए जागृत हुई थी उसी का प्रतिफल रहा 15 व 16 अप्रेल 2023 को बागेश्वर के बैजनाथ तथा 20 व 21 मई 2023 को चंपावत के जिलाधिकारियों क्रमश: अनुराधा पाल तथा नरेंद्र भण्डारी के सहयोग से अंचल के उक्त ऐतिहासिक नगरों में किताब कौथिग के आयोजन हेतु सराहनीय सहयोग दिया गया था।

उक्त नगरों के बाद क्रमिक रूप से ‘क्रिएटिव उत्तराखंड-म्योर पहाड़’ द्वारा स्थानीय लोगों व संगठनों के सहयोग से पिथौरागढ़ (4 से 6 जुलाई 2023), द्वाराहाट (1 से 3 सितंबर 2023), भीमताल (5 से 7 अक्तूबर 2023), नानकमत्ता (1 से 3 दिसंबर 2023) और हल्द्वानी में (9 से 11 फरवरी 2024) तक ‘किताब कौथिग’ का प्रभावशाली व प्रेरणादाई आयोजन कर अंचल के प्रबुद्ध जनमानस का ध्यान आकर्षित किया गया था।

किताब कौथिग के इस क्रम को विस्तार देते हुए अंचल के विख्यात पर्यटन नगर रानीखेत में नौवां आयोजन किया जा रहा है। आयोजन की तैयारियों का अवलोकन कर कहा जा सकता है, ‘रानीखेत किताब कौतिक’ न सिर्फ रानीखेत के स्थानीय रहवासियों बल्कि प्रदेश व देश के संबन्धित विषयों व कार्यों से जुडे़ जनमानस को भी एक प्रेरणादाई संदेश देता नजर आयेगा।

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