उत्तराखंड में मना परम्परागत फसलों एवं भोजन का उत्सव

गढ़ भोज दिवस

उत्तराखंड के परम्परागत फसलों एवं भोजन के उत्सव गढ़ भोज दिवस को उत्तराखंड के स्कूल, कालेजों, मेडिकल कॉलेज में वृहद रूप से मनाया गया। गढ़ भोज दिवस का मुख्य कार्यक्रम राजीव गांधी नवोदय विद्यालय ननुर खेड़ा में हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी, तत्व फाउंडेशन, आगाज फेडरेशन एवं पर्वतीय विकास शोध केंद्र के द्वारा आयोजित किया गया।

इस बार राज्य सरकार के द्वारा स्कूल, कालेजों, स्वास्थ्य विभाग एवं विश्व विद्यालय को पत्र जारी कर अनिवार्य रूप से गढ़ भोज दिवस मनाने के निर्देश जारी किए गए थे।

 गढ़ भोज दिवस के मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अपने संबोधन में कहा की कोदा, झंगोरा, कोणी जैसे  मोटे अनाज आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में जाना जाने लगा है। जिसे कभी गरीबों का खाना माना जाता था। उत्तराखंड के परम्परागत भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने अद्वितीय कार्य किया। इनके द्वारा शुरू किया गया अभियान आज पूरे देश में सराह जा रहा है। 

गढ़ भोज दिवस

उन्होंने कहा की गढ़ भोज अभियान की वजह से ही गरीबों का अनाज माना जाने वाले श्री अन्ना को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। साथ ही किसानों में भी जागरूकता बढ़ी है। उत्तराखंड के संदर्भ में पर्यटन और तीर्थाटन के बाद गढ़ भोज के रूप में मोटे अनाज हमारी आर्थिकी का बड़ा हिस्सा बन रहा है जिससे हजारों परिवारों को रोजगार मिल रहा है।

गढ़ भोज दिवस के आयोजन के बाद से संपूर्ण उत्तराखंड में मोटे अनाजों से बनाने वाले भोजन की धूम मची है, गढ़ भोज ने अपनी पहचान कायम की है। आने वाले समय में राज्य भर में गढ़ भोज की किसकी कितनी जानकारी है, उसको लेकर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी साथ गढ़ भोज दिवस को हर वर्ष मनाया जायेगा।

गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने माननीय मंत्री का स्वागत करते हुए कहा की डा. धन सिंह रावत जी जो कहते है वह करते है। राज्य के पहले मंत्री है जिन्होंने गढ़ भोज को लेकर सक्रियता दिखाई। उनके प्रयासों से आज गढ़ भोज मिड डे मिल में शामिल हो पाया साथ ही 7 अक्तूबर को गढ़ भोज दिवस के रूप में मान्यता दिलाई है। सेमवाल ने कहा की राज्य बनने से पूर्व उत्तराखंड का जन मानस – कोदा झंगौरा खायेंगे उत्तराखंड बनाएंगे के नारे लगाते थे। इसी से प्रेरणा लेकर राज्य बनने के साथ ही वर्ष 2000 से  “नई पीढ़ी को परम्परागत मोटे अनाजों से बनने वाले भोजन  से रूबरू करवा कर, इसे अपनी थाली का हिस्सा बनाने और उत्तराखंड की समृद्ध भोजन परंपरा को देश दुनिया के सामने लाने के लिए गढ़ भोज अभियान के माध्यम से प्रयासरत है। हमने  राज्य में जनमानस को जोड़ने के साथ ही सरकारों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।

गढ़ भोज दिवस की कल्पना के पीछे मात्र एक उत्सव का विचार नहीं है बल्कि वर्ष में कम से कम एक दिन उत्तराखंड के औषधीय गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने पर चर्चा करना व  उन लोगो के प्रति कृतज्ञता प्रेषित कर  जिन्होंने विरासत में हमे यह फसलें व भोजन दिए ।

इस वर्ष उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सहकारिता विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग को गढ़ भोज दिवस मनाने के निर्देश जारी किए। जिसके परिणाम स्वरूप राज्य में आज स्कूल, कालेज, स्वास्थ्य विभाग ने बड़े हर्ष उल्लास के साथ गढ़ भोज दिवस मनाया गया।

द्वितीय गढ़ भोज दिवस के अवसर पर गढ़ भोज पर शोध कार्य करने के लिए डा. नीतू गुप्ता चमन लाल महाविद्यालय हरिद्वार, डॉ. निरादोषिता बिष्ट पी जी कालेज अल्मोड़ा, डॉ. स्वेता एवं नवीन किरन ट्रस्ट के निदेशक उदय प्रताप सिंह  को  गढ़ भोज सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डॉ अरविंद दरमोडा, आकांक्षा जैसवाल,  प्रो यतीश वशिष्ठ, बलवीर कांडरी, गिरीश थपलियाल, ड्रा सुनीता भट्ट,  जे पी मैठाणी, प्रो जे पी पचौरी, गंगा बहुगुणा, जमुना बहुगुणा, dr मुकुल सती अपर राज्य परियोजना निदेशक शिक्षा, जीत बहादुर, पूर्व कुलपति एवं रूशा के सलाहकार प्रो एम एस रावत, लक्ष्मण सिंह रावत, सुभाष रमोला, राकेश नेगी, मनोज ,  बृजेश यादव सहित सैकड़ों लोग और छात्र छात्राए मौजूद रहे। 

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