
ऋषिकेश. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) ऋषिकेश (Rishikesh) AIIMS (एम्स) में 27 वर्षीय युवक की किडनी प्रत्यारोपित कर उसे नया जीवन दिया गया है. युवक को उसके पिता की किडनी लगाई गई है. इसी के साथ एम्स ऋषिकेश उत्तराखंड का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है जहां किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू हुई है.
नैनीताल का रहने वाला यह युवक किडनी फेलियर की समस्या से ग्रसित था. किडनी प्रत्यारोपण ही अंतिम विकल्प था. हालांकि यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसे संस्थान की यूरोलॉजी (Urology), नेफ्रोलॉजी (Nephrology) और ऐनेस्थेसिया विभाग की संयुक्त टीम ने सफलतापूर्वक पूरा किया. इस प्रक्रिया में एम्स दिल्ली के चिकित्सकों का भी सहयोग रहा. जल्द ही हार्ट ट्रांसप्लांट और लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा भी जल्द ही एम्स ऋषिकेश में शुरू होगी.
युवक का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी खर्च पर किया गया है. 3 घंटे तक चली प्रक्रिया के बाद 27 युवक को उसके पिता की किडनी लगाई गई. जिसके बाद युवक को 19 अप्रैल से लगातार निगरानी में रखा गया था और अब वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. युवक पूरी तरह स्वस्थ है और उसे शीघ्र ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी. एम्स ऋषिकेश में यह पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है. हीमोडायलिसिस करवाने वाले मरीजों को इसका सबसे बड़ा फायदा पहुंचेगा.