उत्तराखंड@25: विकास की नई उड़ान, विरासत से प्रेरित पहचान

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विकसित भारत का मार्ग उत्तराखंड जैसी ऊर्जावान पहाड़ियों से होकर जाता है” – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

  • हिमांतर ब्यूरो, देहरादून

पच्चीस वर्ष पहले जब उत्तराखंड अस्तित्व में आया था, तब यह पहाड़ी प्रदेश अपने संघर्ष, स्वाभिमान और उम्मीदों के साथ एक नई सुबह की ओर बढ़ा था. आज, 2025 में, जब राज्य अपनी रजत जयंती मना रहा है, यह सिर्फ़ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प की पुनर्पुष्टि है- “विकास भी, विरासत भी.”

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संघर्ष से सशक्तिकरण तक का सफ़र

सन् 2000 में अलग राज्य के रूप में जन्मा उत्तराखंड, शुरुआती वर्षों में कई चुनौतियों से जूझा – भौगोलिक कठिनाइयां, सीमित संसाधन, पलायन और आपदाएं. परंतु इन सबके बीच यह राज्य जनशक्ति और जनभावना की मिसाल बनकर उभरा. देवभूमि के लोग हर परिस्थिति में डटे रहे. खेती-बाड़ी, सेना, शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान-  हर क्षेत्र में उत्तराखंडी युवाओं ने अपनी मेहनत और ईमानदारी से नाम कमाया.

प्रधानमंत्री का विज़न: “विकसित उत्तराखंड से विकसित भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के संकल्प में उत्तराखंड को मॉडल राज्य के रूप में देखा जा रहा है. उनका विज़न स्पष्ट है – पर्वतीय प्रदेशों का सशक्तिकरण ही सतत विकास की कुंजी है.

चारधाम ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन, भारतमाला परियोजना, जोशीमठ–माणा बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर, और होमस्टे नीति जैसी योजनाओं ने इस प्रदेश को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है.
प्रधानमंत्री के शब्दों में – “उत्तराखंड की ऊंचाइयां अब विकास की ऊंचाइयों का प्रतीक बन रही हैं.”

धार्मिक और सांस्कृतिक नवजागरण

केदारनाथ का भव्य पुनर्निर्माण केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि आस्था और आधुनिकता का संगम है. बदरीनाथ मास्टर प्लान, माणा को ‘देश का प्रथम गांव’ के रूप में विकसित करने का प्रयास, और अब ‘मणास–मुक्तेश्वर–मसूरी–मुक्ति सर्किट’ जैसी परिकल्पनाएं उत्तराखंड को आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रही हैं.

इसके साथ ही लोकसंस्कृति, भाषा और कला को सहेजने के लिए अनेक पहलें हुई हैं – ‘इगास–बग्वाल’ जैसे स्थानीय पर्वों को सरकारी मान्यता से लेकर युवा कलाकारों के स्टार्टअप्स तक, सब कुछ एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर संकेत करता है.

हरित विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में

उत्तराखंड ने अपने विकास मॉडल में पर्यावरणीय संवेदनशीलता को केंद्र में रखा है. ग्रीन एनर्जी, ऑर्गेनिक खेती, वाटरशेड प्रबंधन और ईको-टूरिज़्म जैसे क्षेत्रों में राज्य देश के अग्रणी प्रदेशों में शामिल हो रहा है.
पहाड़ की बेटियां – चाहे वे दिव्या ज्योति बिजल्वाण जैसी युवा जलवायु प्रतिनिधि हों या स्थानीय स्व-सहायता समूह- आज “हर घर आत्मनिर्भर” के संकल्प को आगे बढ़ा रही हैं.

भविष्य की ओर: उत्तराखंड@50 का सपना

अगले 25 वर्षों के लिए उत्तराखंड की दिशा स्पष्ट है-

  • हर गांव में डिजिटल कनेक्टिविटी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
  • युवा उद्यमियों के लिए स्टार्टअप इकोसिस्टम
  • ग्राम पर्यटन और हस्तशिल्प आधारित अर्थव्यवस्था
  • भूकंप और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना
  • “वन उत्तराखंड, ग्रीन उत्तराखंड” मिशन के तहत जल–जंगल–जमीन की रक्षा

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यह वह दृष्टि है जिसमें विकास केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में झलकता है.

आत्मा में हिमालय, दृष्टि में भविष्य

उत्तराखंड की आत्मा हिमालय में बसती है – शांत, दृढ़ और ऊंचा. रजत जयंती का यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि हमारा सफ़र अभी अधूरा नहीं, बल्कि नई ऊंचाइयों की शुरुआत है.

“उत्तराखंड का युग अब शुरू हुआ है, जहां प्रकृति, संस्कृति और प्रगति तीनों एक साथ आगे बढ़ेंगी.” – प्रधानमंत्री

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