Tag: Mahatma Gandhi

‘कस्तूरबा’ से ‘बा’ तक का गुमनाम सफर

‘कस्तूरबा’ से ‘बा’ तक का गुमनाम सफर

साहित्‍य-संस्कृति
भावना मासीवाल 22 फरवरी को ‘बा’ की पुण्यतिथि थी. उन पर न कोई आयोजन था न ही कोई चर्चा-परिचर्चा. हर तरफ थी तो सिर्फ ख़ामोशी. जबकि ‘बा’ इतिहास के पन्नों में दफन कस्तूरबा गाँधी का नाम है. यह नाम आज़ादी की लड़ाई में अपनी पूरी निष्ठा व बलिदान के साथ मौजूद था. यह नाम दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति व भारतीयों के साथ गैर बराबरी पूर्ण व्यवहार के खिलाफ़ न केवल अहिंसा आंदोलन में खड़ा था बल्कि आंदोलन में जेल भी गया था. दक्षिण अफ्रीका में जब ईसाई धर्म के अनुसार क़ानूनी रूप से पंजीकृत विवाह को वैध और अन्य को अवैध बनाया गया. उस समय वहाँ इसके खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन किया गया और सभी सत्याग्रहियों को जेल में डाला गया था. इसमें ‘बा’ कस्तूरबा गाँधी भी थी. विरोध का यह वही नाम था जो दक्षिण अफ्रीका के बीमार मजदूरों की निष्ठा व श्रद्धा भाव से सेवा करता है. जिसने अपने संपूर्ण परिवार पति, बच्चों को समाज व देश से...
नागरिकों को नैतिक होने के लिए सूचित करने की आवश्यकता…

नागरिकों को नैतिक होने के लिए सूचित करने की आवश्यकता…

साहित्‍य-संस्कृति
सलिल सरोज महात्मा गांधी ने महसूस किया कि शिक्षा से न केवल ज्ञान में वृद्धि होनी चाहिए बल्कि हृदय और साथ में संस्कृति का भी विकास होना चाहिए. गांधी हमेशा से और हित चरित्र because निर्माण के पक्ष में थे. चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा उसके अनुसार शिक्षा नहीं थी. उन्होंने एक मजबूत चरित्र को एक अच्छे नागरिक का मूल गुण माना. आज के बच्चे और युवा राष्ट्र के भविष्य हैं. उन्हें गांधी के सामाजिक न्याय के सिद्धांतों, पर्यावरण के बारे में उनकी चिंताओं और उनके सिद्धांत के बारे में बताने की आवश्यकता है कि प्रकृति के पास हर किसी की जरूरतों के लिए पर्याप्त है लेकिन because उनके लालच के लिए नहीं और यही मूल मन्त्र है एक स्थायी और समावेशी अर्थव्यवस्था और समाज को बढ़ावा देने के लिए. गांधी ने राजनीतिक और आर्थिक विकेंद्रीकरण का प्रचार किया. राजनीतिक युवा मानस और आम because जनता में इन मूल्यों का अनुकर...