Tag: लोक गीत

देवगोति मेला : सोमेश्वर देवता की छांव में लोक जीवन का उत्सव

देवगोति मेला : सोमेश्वर देवता की छांव में लोक जीवन का उत्सव

उत्तरकाशी
  नीरज उत्तराखंडी, पुरोला-मोरी, उत्तरकाशी उत्तराखंड हिमालय का हर गांव अपनी परंपराओं, लोकगीतों और देव-आस्थाओं से बसा-गुंथा है। मोरी ब्लॉक की पंचगाई, अडोर और बडासु पट्टियों के 22 गांवों के लिए हर साल होने वाला देवगोति मेला सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्मिलन और सामूहिक उत्सव है। यह मेला आराध्य देव श्री सोमेश्वर देवता की आराधना के साथ शुरू होता है और पूरे क्षेत्र को लोक रंगों से भर देता है। ढाटमीर से गंगाड तक का सफर मेले की शुरुआत बडासु पट्टी के ढाटमीर गांव से होती है। यहां 10–11 दिन तक पूजा-अर्चना और रात्रिकालीन सांस्कृतिक आयोजन चलते हैं। इसके बाद गंगाड और ओसला गांवों में यह उत्सव आगे बढ़ता है। आज, जब गंगाड गांव ने मेले के अंतिम दिवस का साक्षी बना, तो पूरा वातावरण देवधुनों और लोकगीतों से सराबोर था। सोमेश्वर देवता की डोली जब श्रद्धालुओं के बीच थिरकी, तो आ...
यतो धर्मस्ततो  जय: 

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लोक पर्व-त्योहार
विजया दशमी पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय लोक-जीवन में गहरे पैठे हुए हैं और उनकी कथा आश्चर्यजनक रूप से हजारों वर्षों से विभिन्न रूपों में आम जनों के सामने न केवल आदर्श प्रस्तुत करती so रही है बल्कि उसे जीवन के संघर्षों के बीच खड़े रहने के लिए सम्बल भी देती आ रही है. विजयादशमी की तिथि श्री राम की कथा का एक चरम बिंदु है जब वे आततायी रावण से धरती को मुक्त करते हैं और ऐसे राम राज्य की स्थापना करते हैं so जिसमें जन जीवन संतुष्ट और प्रसन्न है. उसे दैहिक, दैविक या भौतिक किसी तरह  का ताप  नहीं है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी स्वराज के रूप में राम राज्य की कल्पना की थी . पर इस कल्पना को साकार करने के मार्ग में हम अभी भी बहुत दूर खड़े हैं. राम श्रीराम की कथा आज भी अत्यंत so लोकप्रिय है. अब दशहरा के पूर्व धूम धाम से दुर्गा पूजा का उत्सव भी जुड़ गया है. द...