
राष्ट्रीय नवोन्मेष और विकसित भारत की संकल्पना
नव वर्ष (1 जनवरी 2026) पर विशेषप्रो. गिरीश्वर मिश्र
शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा
पिछले एक दशक में भारत की छवि निश्चित रूप से एक सशक्त देश के रूप में निखरी है. नए वर्ष में इस बदलते भारत के भविष्य के बारे में सोचते हुए हमें देश की समृद्ध प्राचीन सभ्यता और आधुनिक राष्ट्र राज्य की संकल्पना दोनों को ध्यान में रखना होगा. लोक की स्मृति में अभी भी नैतिक और न्यायपूर्ण शासन के लिए राम-राज्य की अमिट छवि क़ायम है. न केवल 1950 में लागू भारत के संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों वाले अध्याय के आरंभ में राम का चित्र अंकित किया गया था बल्कि 2025 में अक्टूबर तक 22 करोड़ लोग अयोध्या में राम लला के दर्शन कर चुके हैं. साल के अंत तक यह संख्या 50 करोड़ हो सकती है. इसलिए जहाँ वैश्वीकरण के अनुकूल आकांक्षाओं को ध्यान में रखना होगा वहीं नैति...
