Tag: नकदी फसल

कपूर कचरी की खेती – सुगंध से आजीविका तक

कपूर कचरी की खेती – सुगंध से आजीविका तक

खेती-बाड़ी, चमोली
कपूर कचरी की हिमालयकी एक बहुमूल्य जड़ी-बूटी जे. पी. मैठाणी हिमालय अपनी अनूठी जैव विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां की वादियों में सैकड़ों औषधीय पौधे और वनस्पतियां स्वाभाविक रूप से उगती हैं। इन्हीं में से एक है – कपूर कचरी (Hedychium spicatum) जिसे स्थानीय भाषा में स्येडू या सैडू कहा जाता है और आम बोलचाल में इसे जिंजर लिली भी कहते हैं। इसका कुल नाम जिंजिबेरेसी है और यह अदरक-हल्दी की तरह कंद वाली औषधीय वनस्पति है। सांस्कृतिक महत्व चमोली जनपद के ग्रामीण अंचल में शादियों के समय होने वाले मंगल स्नान की परंपरा में कपूर कचरी और सुगंधबाला की जड़ों को हल्दी के साथ मिलाकर दूल्हा-दुल्हन के स्नान में प्रयोग किया जाता है। इसकी विशिष्ट सुगंध और औषधीय गुण इसे पर्वतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बनाते हैं। पीपलकोटी में सफल प्रयोग पीपलकोटी (चमोली) में लगभग 1300 मीटर की ऊंचाई पर ‘आगाज़’ स...