Tag: दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र

नंदलाल भारती की संग्रह पुस्तक ‘आमारे जौनसारी गीत’ का दून पुस्तकालय में लोकार्पण

नंदलाल भारती की संग्रह पुस्तक ‘आमारे जौनसारी गीत’ का दून पुस्तकालय में लोकार्पण

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के तत्वाधान में आज इसके सभागार में जौनसार जनजाति क्षेत्र के ख्यातिलब्ध लोक कलाकार डॉ० नंदलाल भारती द्वारा लिखित लोक गीतों की संग्रह पुस्तक आमारे जौनसारी गीत का जन लोकार्पण किया गया. इसके बाद पुस्तक पर बातचीत का सत्र भी हुआ. इसमें लोगों की अनेकजौनसारी शब्दों पर बने संशय को लेखक डॉ. नंदलाल भारती ने स्पष्ट किया. मुख्यातिथि पूर्व कुलपति उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्याल प्रो. ओपीएस नेगी ने कहा कि यह पुस्तक खिले हुए गीतों का एक सुन्दर गुलदस्ता है.  गीतों को पढ़कर मालूम होता है कि नंदलाल भारती ने जौनसारी शब्दों और लोक जीवन की प्रक्रिया को सहजता से गीतों में ढाला है.  नंदलाल भारती ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जनजातीय समुदाय की  सांस्कृतिक धरोहरों का सफल प्रदर्शन  किया है. उनके गीतों में एक तरफ लोक की अनुभूति होती है और दूसरी तरफ स...
दून पुस्तकालय में ओडिया भाषा और लघु कथाएं विषय पर प्रस्तुति

दून पुस्तकालय में ओडिया भाषा और लघु कथाएं विषय पर प्रस्तुति

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सांय उड़िया भाषा और उसके साहित्य विषय पर एक सत्र केंद्र के सभागार में आयोजित किया. इसका प्रारूप अम्मार नकवी द्वारा दृश्य-श्रव्य माध्यम से किया गया. भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा को समझने और सराहने की श्रृंखला का यह सातवाँ सत्र था. सत्र की शुरुआत उड़ीसा के भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के परिचय और सामान्य रूप से धारणा के साथ हुई. बाद में धीरे-धीरे यह मगधी प्राकृत और गीत गोविंदा जैसे मध्ययुगीन ग्रंथों में इसके मूल और इसके विकास में गजपति साम्राज्य जैसी ऐतिहासिक साम्राज्यों की भूमिकाओं की ओर बढ़ गया. इसके बाद भाषा की संरचना पर ध्यान केंद्रित किया गया,जो कि बांग्ला और तेलुगु की तुलना में प्रभावशाली भाषाओं के रूप में है. अम्मार नक़वी ने ओडिया की उत्पत्ति सामान्य कुटिला/सिद्धम लिपि से कैसे हुई और कैसे इसकी शाखाएँ फैलीं, इसकि ...
स्टोन फ्रूट मिशन बदलेगा उत्तराखंड की बागवानी का भविष्य

स्टोन फ्रूट मिशन बदलेगा उत्तराखंड की बागवानी का भविष्य

देहरादून
  'धाद' संस्था और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से विमर्श में विशेषज्ञों ने रखे विचार जेपी मैठाणी, देहरादून उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्रों में स्टोन फ्रूट की बागवानी को बेहतर करने की दिशा में चलाए जा रहे अभियान के तहत 'धाद' संस्था और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से विमर्श में विशेषज्ञों ने पारंपरिक बीज और आधुनिक तकनीक के बारे में बताया. इस दौरान सभी ने कहा कि उत्तराखंड में स्टोन फ्रूट्स (गुठलीदार फल: आडू, प्लम, खुमानी) की संभावना काफी है. इसलिए इसपर जोर दिया जाना चाहिए ताकि आर्थिक रूप से भी किसान मजबूत हो सके. कहा कि यदि हम स्टोन फ्रूट्स पर कार्य करेंगे तो सेब और कीवी से ज्यादा लाभ इनसे कमा सकते हैं. वक्ताओं ने हिमाचल की भांति उत्तराखंड को भी स्टोन फ्रूट की ओर रुख करने पर जोर दिया. शनिवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में 'आडू, प्लम, खुमानी का महीना' के त...
स्कूलों को रचनात्मकता से लबरेज होना चाहिए: एस.पी.सेमवाल

स्कूलों को रचनात्मकता से लबरेज होना चाहिए: एस.पी.सेमवाल

देहरादून
मनोहर चमोली ‘मनु’ साहित्यकार, शिक्षाविद् एस.पी. सेमवाल ने कहा कि अभी हमारे विद्यालयों को रचनात्मकता का केन्द्र होने में समय लग रहा है. हालांकि सृजनशील शिक्षक मौलिकता, रचनात्मकता के लिए अपने रास्ते खोज लेते हैं. उन्हें बाधाओं में भी हल मिल जाते हैं. टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी एस.पी.सेमवाल ने कहा कि समाज में जो भी नया और अनोखा दिखाई देता है वह रचनात्मक विचार से ही उत्पन्न होता है. एस.पी.सेमवाल दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा अंकुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. ‘शिक्षा और उसकी चिंताएँ’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि रचनात्मकता ही है जो समाज को जीवंत बनाए रखती है. विद्यालयों में सृजनात्मकता की आवश्यकता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सूचना, तकनीक और कम्प्यूटरीकृत युग में भी मौलिकता, हाथ के कौशल और बौद्धिक सम्पदा का कोई विकल्प नहीं हो सकता. भावन...
सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ का लोकार्पण

सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ का लोकार्पण

देहरादून
देहरादून. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज अपराह्न  3:00 बजे प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ का लोकार्पण केंद्र के सभागार में किया गया. पुस्तक में शामिल आलेखों का संकलन सुंदरलाल बहुगुणा की बेटी श्रीमती मधु पाठक ने किया है. पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर विमला बहुगुणा, चंद्र सिंह, आईएएस रिटायर्ड, समाजसेवी डॉ. एस फ़ारुख, सामाजिक अध्यता डॉ. बी पी मैठाणी, सामजिक विचारक अनूप नौटियाल, जनकवि डॉ. अतुल शर्मा, डॉ. राजेन्द्र डोभाल और शिक्षाविद डॉ. हर्ष डोभाल आदि मौजूद थे. सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनको याद करते हुए वक्ताओं ने उनके हिमालय के प्रति पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण बताया और उस दिशा पर प्राथमिकता के साथ काम करने की जरूरत पर बल दिया. उनके  लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ के लेखों की चर्चा करते हुए वक्...