Tag: श्रीराम

सीय-राममय सब जग जानी

सीय-राममय सब जग जानी

लोक पर्व-त्योहार
राम नवमी पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  श्रीराम विष्णु के अवतार हैं. सृष्टि के कथानक में भगवान विष्णु के अवतार लेने के कारणों में भक्तों के मन में आए विकारों को दूर करना, लोक में भक्ति का संचार करना, जन – जन के कष्टों का निवारण और भक्तों के लिए भगवान की प्रीति पा सकने की इच्छा पूरा करना प्रमुख हैं. सांसारिक जीवन में मद, काम, क्रोध और मोह आदि से अनेक तरह के कष्ट होते हैं और उदात्त वृत्तियों के विकास में व्यवधान पड़ता है. रामचरितमानस में इन स्थितियों का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि जब-जब धर्म का ह्रास होता है, नीच और अभिमानी राक्षस बढ़ जाते हैं और अन्याय करने लगते हैं पृथ्वी और वहाँ के निवासी कष्ट पाते हैं तब-तब कृपानिधान प्रभु भाँति-भाँति के दिव्य शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं. एक भक्त के रूप में तुलसीदास जी का विश्वास है कि सारा जगत राममय है और उनके मन में बसा ...
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर!

बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर!

लोक पर्व-त्योहार
दीपावली पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र कहते हैं ‘भारत ’ यह नाम भरत नामक अग्नि के उपासकों के because समुदाय से जुड़ा है. वेदों के व्याख्याकार यास्क ने ‘भारत’ का अर्थ ‘आदित्य’ किया है. ब्राह्मण ग्रंथों में ‘अग्निर्वै भारत:’ ऐसा उल्लेख मिलता है. ‘भारती’ इस शब्द की व्याख्या करते हुए यास्क ‘भारत आदित्य तस्य भा: ‘ भारती वाक् और उससे जुड़े जन भी भारत हुए. ऋग्वेद में स्पष्ट उल्लेख आता है : ‘विश्वामित्रस्य रक्षति ब्रह्मेदं भारतं जनं’. इन सबको देखते हुए प्रकाश के प्रति आकर्षण भारतीय परम्परा में आरम्भ से ही एक प्रमुख आधार प्रतीत होता है. प्रकाश के प्रमुख स्रोत  अग्नि देवता है. गौरतलब है कि अग्नि सबको पवित्र करने वाला ‘पावक’ है और शरीर के भीतर so (जठराग्नि!) और बाहर की दुनिया में बहुत सारे कार्य उसी की बदौलत चलते हैं. यहाँ तक की जल में भी वाड़वाग्नि होती है. आजकल के सुनामी इसे स्पष्टत: प्रदर्शित...