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निस्पृह प्रेमगाथा की शानदार प्रस्तुति

निस्पृह प्रेमगाथा की शानदार प्रस्तुति

साहित्यिक-हलचल
पुस्तक समीक्षा दिनेश रावत 'एक प्रेमकथा का अंत' महाबीर रवांल्टा की नवीन प्रकाशित नाट्य कृति है, जिसका ताना—बाना लोक की भावभूमि पर बुना गया है. गजू—मलारी की निश्चल प्रेमगाथा जहाँ नाटक की सुघट आत्मा है तो परिवेश और प्रचलित शब्दावली सौष्ठव. निश्चित ही ये गजू—मलारी की वही प्रेमगाथा है जिसे कभी प्रेम की पराकाष्ठा तय करने के लिए तो कभी आमोद—प्रमोद या मनरंजन के लिए सदियों से समान रूप से गाया, दोहराया जाता रहा हैं परन्तु सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य की सांसारिक चहल—पहल से दूर दूरस्थ ग्राम्य अंचल दोणी—भितरी में घटित, प्रेम को नव आयाम प्रदान कर नई परिभाषा गढ़ती प्रस्तुत कृति की नायिका मलारी जहाँ बिना कुछ देखे, भोगे ही परलोक वासिनी बन स्वर्ण प्रतिमा के रूप में गजू की कंठ माला बन गजू के साथ बुग्यालों के विरंजन में विलीन हो जाती है तो प्रसंग गीत, गाथाओं में गूंथने के बाद भी सम्बंधित लोक की परिधि ...