सुभाष तराण 1815 के बाद जब जौनसार-बावर और देवघार फिरंगी सरकार के अधीन आया तो उन्होने सबसे पहले पडौस की शिमला रेजीडेंसी को देहरादून से जोडने के लिये एक नए अश्व मार्ग का निर्माण किया. यह रास्ता मसूरी, यमुना पुल नागथात चकराता त्यूनी मुन्धोल से मुराच़, छाज़पुर, खड़ा पत्थर, कोटखाई होते हुए शिमला तक
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