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अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!

अब शिक्षा तरह-तरह के बंधन की तरफ ले जाती है!

शिक्षा
बदलता शैक्षिक परिदृश्य प्रो. गिरीश्वर मिश्र शिक्षा का मूल्य इस अर्थ में  जगजाहिर है कि व्यापार, स्वास्थ्य, सामरिक तैयारी, यातायात, संचार, कृषि, नागरिक सुरक्षा यानी जीवन कोई भी  क्षेत्र लें उसमें  हमारी प्रगति so सिर्फ और  सिर्फ इसी  बात पर टिकी हुई है कि हम ज्ञान की दृष्टि से कहाँ पर स्थित हैं. हम अपना और दूसरों का भला भी तभी कर पाते हैं जब उसके लिए जरूरी ज्ञान उपलब्ध हो. आज सूचना, ज्ञान और तकनीक के साथ ही एक देश दूसरे से बढ़त पा रहे हैं. ज्ञान के साथ प्रामाणिकता जुड़ी रहती है अर्थात हम उसी  पर भरोसा कर सकते हैं जो विश्वसनीय हो. उसमें झूठ-फरेब से बात नहीं बनती है. इसीलिए भगवद्गीता में ज्ञान को धरती पर सबसे पवित्र कहा गया है- न ही ज्ञानेन सदृशं पवित्रं इह विद्यते. शिक्षा ज्ञान का प्रकाश, आलोक और दृष्टि से गहरा रिश्ता है. अज्ञान को तिमिर या अन्धकार भी कहते हैं जिसे विद्या के प्रकाश से दू...