देश की सामर्थ्य के लिए चाहिए भाषाओं का पोषण  

देश की सामर्थ्य के लिए चाहिए भाषाओं का पोषण  

प्रो. गिरीश्वर मिश्र  भाषा मनुष्य जीवन की अनिवार्यता है और वह न केवल सत्य को प्रस्तुत करती है बल्कि उसे रचती भी है. वह इतनी सघनता के साथ जीवन में घुलमिल गई है कि हमारा देखना-सुनना, समझना  और विभिन्न कार्यों में प्रवृत्त होना यानी जीवन का बरतना उसी की बदौलत होता है. जल और वायु […]

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