
सम्मान में 2 लाख 51 हजार की नकद राशि के साथ सम्मान चिन्ह से अंगवस्त्र
हरनोट ने हिमाचल को समर्पित किया यह सम्मान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, देहरादून में आयोजित ‘नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान’ समारोह में प्रतिभाग किया. मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान से हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार एस.आर हरट को सम्मानित किया. प्रख्यात साहित्यकार और सोशल एक्टिविस्ट एस आर हरनोट को उत्तराखंड लोक समाज द्वारा, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, देहरादून में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रीय संस्कृति सम्मान से नवाजा गया. पुरस्कार में सम्मान चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और अंगवस्त्र के साथ 2 लाख 51 हजार रुपए की नकद राशि भी दी गई. उत्तराखंड लोक समाज के बैनर तले विभिन्न संगठन मिलकर यह सम्मान प्रदान करते हैं. लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के अद्वितीय योगदान को देखते हुए उनके नाम पर यह सम्मान वर्ष 2024 में शुरू किया गया है.
सीएम ने कहा कि नरेंद्र सिंह नेगी ने प्रत्येक उत्तराखंडवासी के हृदय को छुआ है. नरेंद्र नेगी ने अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की आत्मा को स्वर दिया है. उन्होंने लोक जीवन की पीड़ा, प्रेम, संघर्ष और सौंदर्य को सुरों में डालकर उसे जीवंत किया और राज्य की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊर्जा प्रदान की है.
सम्मानित होने पर हरनोट ने उत्तराखंड लोक समाज का विशेष आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड के धराली, हरसिल, चमोली गांव के साथ सहस्त्रधारा में बाढ़ से हुई तबाही पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हिमाचल में विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं के कारण आपदा घोषित प्रदेश है और उत्तराखंड राज्य में भी भरी तबाही हुई है. उन्होंने आगे कहा कि संस्कृति और पर्यावरण के बीच एक गहरा रिश्ता है. दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं. आज सबसे बड़ा विमर्श भी यही है कि जब-जब पर्यावरण प्रदूषित होगा हमारी संस्कृति भी उसके साथ प्रदूषित और नष्ट होती रहेगी.
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक असंतुलन न केवल हमारे पहाड़, जंगल, जल और जमीन को नष्ट करता है बल्कि हमारे जीवन को भी प्रभावित करता है. हम इन घटनाओं को महज प्राकृतिक आपदाओं के नाम से खारिज करते रहे हैं जबकि मानब गतिविधियों के कारण उनकी आवृत्ति और प्रभाव बढ़ रहे हैं. हमारी भूख, भूमंडलीयकरण और अत्याधुनिकता का लिबास ओढ़े पहाड़ों को निगलने के लिए आतुर है. स्वार्थी, अनियोजित, अवैज्ञानिक, असंतुलित और पर्यावरण-अमित्र विकास के कारण पर्यावरणीय क्षरण और जलवायु परिवर्तन हो रहा है जिससे न केवल हमारा जीवन और संस्कृतियां प्रभावित हो रहे हैं बल्कि घोर सामाजिक असमानता भी बढ़ती जा रही है. हमारे पास महज संवेदनाएं व्यक्त करने के सिवा शेष कुछ नहीं बचा है. हालांकि विकास बहुत जरूरी है जिसके विरूद्ध शायद ही कोई होगा परन्तु पहाड़ों में आज विकास, विनाश का रूप ले चुका है.
साहित्यविद्ध एस आर हरनोट ने कहा कि हमने अपने हाथों से जिस तरह पहाड़ों को क्षति पहुंचाई है, जंगलों-पेड़ों की हत्याएं की है, नदियां गायब की हैं, उसने पहाड़ों का प्राकृतिक बांकपन तो नष्ट किया ही है बल्कि उसके साथ हमारी संस्कृति भी नष्ट हो रही है. हरनोट ने चिंता जताई कि दोनों राज्यों का जो प्राकृतिक सौंदर्य है उसे बचाने के लिए अब पहाड़ों, जंगलों और नदियों की बचाने की बहुत आवश्यकता है जिसके लिए अंधाधुंध वन कटान, प्लास्टिक सामग्री, बहु मंजिला निर्माण, फोरलेन और नदियों के दोहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना जरूरी है.
नरेंद्र नेगी ने पलायन के दर्द, पर्यावरण की चिंता और पहाड़ी महिलाओं के जीवन-संघर्ष पर भी कई मार्मिक गीत रचे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि नेगी जी ने अपने गीतों, लोकधुनों और लेखनी के माध्यम से हमारी सांस्कृतिक विरासत को नई ऊँचाइयाँ पर पहुंचाया है. उन्होंने उत्तराखंड की आत्मा को सुरों में पिरोकर उसे विश्वपटल पर प्रतिष्ठित भी किया है. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में जागर, बेड़ा, मांगल, खुदेड़, सहित अनेकों तरह के पारंपरिक गीत हमारी जीवन-शैली और भावनाओं को दर्शाते हैं. ढोल, दमाऊ, हुरका, मशाक, तुर्री, भंकोरा और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्र इन गीतों को और भी जीवंत बनाते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार उत्तराखंड की लोक कलाओं को संरक्षित करने और समृद्ध बनाने के लिए कार्य कर रही है. सरकार हर छह माह में प्रदेश के लोक कलाकारों की सूची तैयार कर रही है. राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल के दौरान लगभग 3,200 सूचीबद्ध लोक कलाकारों को प्रतिमाह दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की थी.
उत्तराखंड सरकार 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध और अस्वस्थ लोक कलाकारों को प्रतिमाह तीन हजार रुपये की पेंशन दे रही है. लोककला और संस्कृति को सहेजने के लिए छह महीने की लोक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन भी कर रही है. इन कार्यशालाओं के माध्यम से युवा पीढ़ी को हमारी पौराणिक लोकसंस्कृति की महत्ता के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
राज्य सरकार ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’, ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरुस्कार के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित कर रही है. राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए भी सतत प्रयास कर रही है जिससे आने वाली पीढ़ियाँ अपनी समृद्ध भाषायी विरासत से जुड़ी रहें.
इस अवसर पर लोक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, एस.पी सेमवाल, डॉ नवीन बलूनी, डॉ ईशान पुरोहित, अपर सचिव ललित मोहन रयाल एवं अन्य लोग मौजूद रहे.