
उत्तरकाशी. यमुनोत्री हाईवे पर स्थित स्यानाचट्टी क्षेत्र में गुरुवार को अचानक आई आपदा ने हड़कंप मचा दिया. भारी बारिश के बाद खड्ड से आया मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर यमुना नदी में गिरने से उसका प्रवाह बाधित हो गया. नदी पर बना यह अस्थायी अवरोध धीरे-धीरे झील का रूप लेने लगा. दोपहर तक झील का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया और कई मकान व होटल जलमग्न हो गए.
प्रशासन ने तुरंत खाली कराए घर और होटल
घटना की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने आपदा स्मार्ट कंट्रोल रूम से राहत कार्यों की निगरानी शुरू की. प्रशासन ने फौरन सभी मकानों और होटलों को खाली कराया. प्रभावित परिवारों और पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. NDRF की टीम बोट के साथ घटनास्थल पर मौजूद है, जबकि SDRF, पुलिस और स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव में जुटे हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि झील को आज शाम या कल प्रातः तक सुरक्षित तरीके से खोला जा सकता है.
भय और दहशत का माहौल
जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि से स्थानीय लोग और पर्यटक घबराए हुए हैं. खड्ड का रौद्र रूप देखकर लोगों ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा. प्रशासन लगातार लोगों को अफवाहों से बचने और शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है.
कैसे बनी झील जैसी स्थिति?
स्यानाचट्टी के पास एक तीव्र ढलान वाली खड्ड यमुना नदी में आकर मिलती है. बारिश और तेज धूप के कारण ऊपर से भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर खड्ड के साथ बहकर नीचे आए. नदी का प्रवाह रुक गया और पानी जमा होने लगा. देखते-देखते पानी का स्तर बढ़कर झील जैसा रूप ले लिया. यही जमा पानी मकानों और होटलों में घुस गया.
खतरे की जद में और भी इलाके
SDM बड़कोट बृजेश तिवारी ने बताया कि यमुनोत्री धाम की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर जलभराव और मलबे से यातायात प्रभावित हुआ है. खराड़ी क्षेत्र में पहाड़ी धंसने से करीब दस होटल और कई परिवारों के घर खतरे में आ गए हैं. प्रशासन ने विशेष राहत दल मौके पर भेजे हैं और उच्च स्तरीय निरीक्षण दल भी रवाना कर दिया गया है.
प्राथमिकता पर राहत और बचाव
SDRF और NDRF की टीमें सभी जरूरी उपकरणों और संसाधनों के साथ तैनात हैं. मलबा हटाने और पानी की निकासी को प्रशासन ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया है. अधिकारियों का कहना है कि यमुना नदी का प्रवाह जल्द से जल्द सामान्य करने की कोशिश की जा रही है.
हर साल दोहराती है यह समस्या
स्यानाचट्टी और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के मौसम में खड्ड से मलबा आने की यह समस्या हर वर्ष सामने आती है. लेकिन अब तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं हो सका. ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि खड्ड और यमुना नदी के संगम स्थल पर तकनीकी समाधान और मजबूत सुरक्षा कार्य किए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की आपदा से बचा जा सके.