
उभरते कलाकारों को मिल रहा है मंच, मार्गदर्शन और नया नज़रिया
देहरादून. उत्तर भारत की पर्वतीय घाटियों से उठती कला की संभावनाओं को स्वर देने वाला एक नया आंदोलन आकार ले रहा है — बंगाणी आर्ट फाउंडेशन (BAF)। यह संस्था ना सिर्फ उभरते कलाकारों को मंच प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें रचनात्मक रूप से सक्षम बनाने का एक सांस्कृतिक अभियान भी चला रही है।
उत्तराखंड, हिमाचल, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के युवा कलाकारों को ध्यान में रखते हुए BAF ने मेंटरशिप, रेजिडेंसी, कार्यशालाओं और प्रदर्शनी जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो अब स्थानीय प्रतिभा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कला जगत से जोड़ने का माध्यम बनते जा रहे हैं।
‘पड़ाव’ बना कलाकारों की आत्मचिंतन यात्रा का प्रतीक
BAF की प्रमुख पहल ‘पड़ाव’—एक रेजिडेंशियल मेंटरशिप कार्यक्रम—अब कलाकारों के लिए केवल एक कार्यशाला नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और संवाद की यात्रा बन चुका है। देहरादून स्थित काया लर्निंग सेंटर और ग्रेटर नोएडा के कलाधाम में हुए सत्रों में उत्तराखंड और हिमाचल के 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है।
यह कार्यक्रम पारंपरिक मेंटरशिप की सीमाओं से आगे निकलते हुए, सह-अस्तित्व और अनुभवात्मक सीखने पर आधारित है। BAF के संस्थापक जगमोहन बंगाणी कहते हैं कि “यह केवल कला की तकनीक नहीं, बल्कि जीवन की लय को समझने की प्रक्रिया है”।
‘पहाड़ के रंग’ जड़ों से जुड़ा नवाचार
बंगाणी आर्ट फाउंडेशन की नींव से पूर्व, जगमोहन बंगाणी ने ‘पहाड़ के रंग’ नामक कला-मेंटोरिंग कार्यक्रम को भी सफलतापूर्वक संचालित किया। उद्यम संस्था (UDHYAM) के सहयोग से अल्मोड़ा, ऋषिकेश और मुक्तेश्वर में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने इस पहल का लाभ उठाया।
अन्य प्रमुख पहलें
- कला कार्यशालाएं: चित्रकला, मूर्तिकला, डिजिटल आर्ट, फोटोग्राफी
- कला प्रदर्शनियां: स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
- कला पुरस्कार और अनुदान: रचनात्मक परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहयोग
- इंटर्नशिप और सेमिनार: व्यावहारिक अनुभव और कलात्मक संवाद के लिए
कला का नया केंद्र बनता उत्तराखंड
उत्तराखंड की भूमि, जो अब तक केवल आध्यात्म और पर्यटन के लिए पहचानी जाती थी, अब धीरे-धीरे कला नवाचार के केंद्र के रूप में उभर रही है। बंगाणी आर्ट फाउंडेशन का यह प्रयास न सिर्फ क्षेत्रीय प्रतिभा को निखार रहा है, बल्कि उन्हें एक स्थायी सांस्कृतिक पहचान भी दे रहा है।