Author: Megha Prakash

देवताओं का वृक्ष ‘पय्या’!

देवताओं का वृक्ष ‘पय्या’!

लोक पर्व-त्योहार
मेघा प्रकाश उत्तराखण्ड में परिभाषा के अनुसार एक बड़ा क्षेत्र 'वन' घोषित है. अतीत में, समुदाय काफी हद तक अपनी आजीविका और दैनिक जरूरतों के लिए इन जंगलों पर निर्भर था. चूंकि, जंगल अस्तित्व के केंद्र में थे, समुदाय के बीच कई सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाएं अभी भी राज्य में प्रचलित हैं. इस प्रकार पवित्र वनों, स्थलों और वृक्षों की अवधारणा इस बात का सूचक है कि कैसे अतीत में समुदाय इन वनों का प्रबंधन करता था और अपनी आजीविका के स्रोत की पूजा करता था. स्थानीय बोलचाल में पवित्र वन चिन्हित स्थल, परिदृश्य, जंगल के टुकड़े या पेड़ हैं, जिन्हें पूर्वजों और श्रद्धेय देवताओं की पवित्र आत्माएं निवास करने के स्थान के रूप में माना जाता था. विश्वास के अनुसार, लोककथाएं, लोक गीत, मेले और पवित्र वनों पर त्योहार उत्तराखंड में समुदाय का हिस्सा हैं. उदाहरण के लिए, 'पय्या' (पयां, पद्म) को पवित्र वृक्ष के रूप ...
मोनाल : क्या बुरांश के फूल भी खाते हैं?

मोनाल : क्या बुरांश के फूल भी खाते हैं?

उत्तरकाशी, पिथौरागढ़
मेघा प्रकाश मोर जैसा रंग-बिरंगा-अति सुन्दर और आकर्षक-मोनाल उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी है. देहरादून में स्थित, भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोधार्थी रमेश कृष्णामूर्ति, जिन्होनें सन 2003 में हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले फीसेंट (तीतर) के ऊपर अध्ययन किया था बताते हैं कि मोनाल, एक फीसेंट है. हिमालयन मोनाल या इम्पेयन मोनाल, उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और सिक्किम, में पाया जाता है. भारत के अलावा मोनाल नेपाल, दक्षिण तिब्बत और भूटान में भी पाया जाता है. पर, उत्तराखंड में पाया जाने वाला मोनाल, ज्यादा सुन्दर और आकर्षक दिखता है. नर-मादा मोनाल कृष्णामूर्ति बताते है कि नर मोनाल का रंग नीला भूरा होता है. जबकि मादा मोनाल भूरे रंग की होती है. नर मोनाल के सर पर ताज जैसी कल्गी होती है और उसके पंखों में 7 रंग पाए जाते हैं. शोध से पता चलता है कि एक नर मोनाल का औसतन वजन ...