मलेशिया और इंडोनेशिया-बाली की धरती पर हिन्दी का परचम

Jagmohan Azad

25वाँ अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन (रजत पर्व) संपन्न, भारतीय विद्वानों का भव्य सम्मान

नई दिल्ली. मलेशिया और इंडोनेशिया-बाली की धरती पर 23 से 31 अगस्त 2025 तक आयोजित 25वाँ अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन (रजत पर्व) हिन्दी साहित्य और भारतीय संस्कृति का एक विराट महाकुंभ सिद्ध हुआ. इस ऐतिहासिक आयोजन में भारत के नौ राज्यों से आए 50 से अधिक रचनाकारों, कवियों, लेखकों, शिक्षाविदों और पत्रकारों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई.

सम्मेलन का उद्घाटन इंडोनेशिया के सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक और लेखक पद्मश्री अगुस इंद्र उदयन ने किया. उन्होंने बाली और भारत की सांस्कृतिक समानताओं को रेखांकित करते हुए कहा— “बाली की संस्कृति भारत, विशेषकर ओडिशा और बस्तर की संस्कृति से गहराई से जुड़ी है. यह भूमि भारतीय परंपराओं की जीवंत झलक प्रस्तुत करती है.”

बाली के विधायक डॉ. सोमवीर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बाली आज भी भारतीय संस्कृति से प्रेरित है, यहाँ शिव, विष्णु और गणेश की पूजा होती है तथा भारतीय त्योहारों की गूंज सुनाई देती है.

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य साहित्य और संस्कृति की विविध विधाओं के बीच संवाद स्थापित करना, भाषायी सौहार्द्रता को प्रोत्साहित करना तथा “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भारतीय परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करना रहा.

इस अवसर पर कवि-पत्रकार जगमोहन ‘आज़ाद’ को पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए एक साथ दो बड़े सम्मान प्राप्त हुए:

  • ट्रू मीडिया गौरव सम्मान-2025
  • प्रथम शरद पगारे स्मृति सम्मान

सम्मान प्रदान करने वालों में पद्मश्री अगुस इंद्र उदयन और डॉ. सोमवीर शामिल थे.

आभार व्यक्त करते हुए जगमोहन ‘आज़ाद’ ने कहा- “यह सम्मान मेरा नहीं, बल्कि मेरे गाँव, खेत-खलिहानों और उत्तराखंड का सम्मान है.”

Jagmohan Azad

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के ग्राम नौली में जन्मे जगमोहन ‘आज़ाद’ पिछले 25 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़े हैं. उन्होंने दिल्ली दूरदर्शन, हिंदुस्तान, इंडिया टुडे, अमर उजाला, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य किया है. वर्तमान में वे सहारा न्यूज चैनल में वरिष्ठ संपादक हैं.
उनकी अब तक तीन कविता संग्रह और एक बाल कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. “प्रकृति के कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल” के संपादन सहित उन्होंने लोक कलाकारों के जीवन पर शोध कार्य किया है और “उत्तराखंड सिनेमा का इतिहास” तथा “उत्तराखंड की लोक विरासत” पर काम जारी है.

  • सम्मेलन में 13 कृतियों का विमोचन किया गया.
  • कई विद्वानों को सृजनगाथा लाइफ टाइम अचीवमेंट, सुकर्णो स्मृति सम्मान, गोपालदास नीरज स्मृति सम्मान आदि से अलंकृत किया गया.
  • अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, कविता पाठ, लोकगीत और नृत्य प्रस्तुतियों ने आयोजन को अविस्मरणीय बनाया.

रजत पर्व से पूर्व अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के सफल आयोजन रायपुर, मॉरीशस, बैंकॉक, पटाया, ताशकंद, श्रीलंका, चीन, नेपाल, मिस्र, रूस, यूनान, म्यांमार, वियतनाम, भूटान, कज़ाखिस्तान आदि देशों में हो चुके हैं.

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