उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को मिला नया कुलपति – साहित्य, भाषा और शिक्षा के समर्पित साधक प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी

prof Naveen Chandra Lohani

 

सूर्य प्रकाश सेमवाल

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी को नया नेतृत्व मिला है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार, भाषाविद एवं शिक्षाविद प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है। यह नियुक्ति न केवल शैक्षणिक जगत के लिए बल्कि उत्तराखंड राज्य के लिए भी गौरव का क्षण है।

35 वर्षों से अधिक का शैक्षिक अनुभव

प्रो. लोहनी वर्तमान में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में वरिष्ठ आचार्य/अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे हैं। वह इसी विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता, मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा निदेशक, साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद संयोजक और कुलसचिव जैसे अनेक दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं।

1 मार्च 2007 को वे आचार्य तथा 28 जून 2019 को वरिष्ठ आचार्य के पद पर पदोन्नत हुए। उनका अकादमिक सफर न केवल देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैला है। वे रवीन्द्रनाथ टैगोर चेयर, लौज़ान विश्वविद्यालय, स्विट्ज़रलैंड तथा SISU विश्वविद्यालय, चीन में भारत सरकार की ICCR चेयर पर विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं।

हिन्दी और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रतिनिधि

विश्व हिंदी सम्मेलनों (न्यूयॉर्क, जोहान्सबर्ग, भोपाल, मॉरीशस, फीजी) में भागीदारी और अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया से लेकर एशिया-अफ्रीका तक दर्जनों देशों की यात्राएं — यह सब उनके वैश्विक दृष्टिकोण और हिन्दी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने हिंदी की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करते हुए प्रवासी साहित्य को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया और स्थानीय भाषाओं को शोध का केन्द्र बनाया।

प्रकाशित कृतियाँ और शोध कार्य

प्रो. लोहनी की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें और सात दर्जन से अधिक शोध आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। 26 पीएच.डी. शोधार्थियों का निर्देशन और 99 एमफिल शोधार्थियों का मार्गदर्शन उनके शैक्षणिक योगदान की गहराई को दर्शाता है। उन्होंने 5 बड़ी शोध परियोजनाएं पूरी कीं और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके विभाग को “उत्कृष्ट अध्ययन केंद्र” की मान्यता भी दो बार मिली।

prof Naveen Chandra Lohani

साहित्य-संस्कृति और प्रशासन में दक्ष

वे अंतरराष्ट्रीय प्रेमचंद आलोचना सम्मान और शब्द शिल्पी सम्मान जैसे कई महत्वपूर्ण सम्मानों से अलंकृत हैं। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की राजभाषा समिति, उत्तराखंड भाषा संस्थान और महादेवी सृजन पीठ जैसी संस्थाओं में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।

टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया और प्रिंट में उनकी गहन उपस्थिति बनी रही है। एक शिक्षक के रूप में, एक प्रशासक के रूप में, और एक लेखक के रूप में उन्होंने हिंदी की सेवा को अपना धर्म माना।

जड़ से जुड़ा एक हिमालयी व्यक्तित्व

बागेश्वर जिले के छोटे से गाँव पचार से निकलकर उन्होंने वैश्विक पहचान बनाई, परन्तु अपनी मूल संस्कृति और जड़ों से कभी विलग नहीं हुए। दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तराखंड तक हिमालय और पर्वतीय समाज के हर सांस्कृतिक आयोजन में उनकी उपस्थिति सदैव प्रेरणा रही है। हिम उत्तरायणी पत्रिका, पर्वतीय लोकविकास समिति और डॉ. मुरली मनोहर जोशी अभिनंदन समिति में उनका सक्रिय संरक्षण सदैव मार्गदर्शक रहा।

प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी की कुलपति नियुक्ति केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक सृजनशील भविष्य की ओर एक कदम है। साहित्य, भाषा, शिक्षा और संस्कृति के संगम के रूप में उनका व्यक्तित्व निस्संदेह उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को एक नये आयाम तक ले जाएगा।

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